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ढाई महीने बाद भी नहीं मिला महबूब

नागौर. नगर परिषद कर्मचारी महबूब अली (46) का ढाई महीने बाद भी सुराग नहीं लगा है। पुलिस ने उसकी तलाश में तमाम कवायद की थी, लेकिन वो रंग नहीं ला पाई है। तीन सटोरियों पर उसके अपहरण का मामला दर्ज है तो महबूब पर ही कई लोगों से फायरमैन की भर्ती में लाखों रुपए लेने का आरोप है।

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 नगर परिषद कार्मिक महबूब का अब तक नहीं लगा सुराग

घर से निकला फिर लौटा ही नहीं

गत 17 फरवरी की सुबह करीब आठ बजे घर से निकले महबूब के इर्दगिर्द रहे सम्पर्कों के अलावा उसकी सीडीआर खंगाली गई। संदेह में घिरे कुछ लोगों से पुलिस ने पूछताछ भी की, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। यह स्पष्ट हो गया कि 19 फरवरी को महबूब अली की बात कृषि मण्डी के एक व्यापारी से हुई थी। इसने उससे कहां है, पूछा तो महबूब ने जवाब दिया कि वो अभी कुचेरा है, नागौर आ रहा है। हालांकि इस बाबत व्यापारी ने ही महबूब को फोन किया था। पुलिस ने शहर में लगे सीसीटीपी कैमरे भी खंगाले। 17 फरवरी की सुबह आठ बजे महबूब घर से निकला, उसके बाद संजय कॉलोनी के आसपास देखे जाने की बात सामने आई थी। नागौर शहर के प्रवेश के तीन मुख्य मार्ग पर लगे कैमरों के साथ अन्य मुख्य स्थानों के सीसीटीवी भी खंगाले गए पर कोई नतीजा नहीं निकला।

महबूब की गुमशुदगी घेरे में

सूत्र बताते हैं कि महबूब की गुमशुदगी खुद ही घेरे में है। उसके भाई हबीब खां ने खुद अपनी रिपोर्ट में उसके क्रिकेट सट्टा लगाने के अलावा करोड़ा का कर्जा लेने की बात कही गई है। हबीब ने सट्टा लगाने वाले दो-तीन बड़े बुकी शिव कुमार उर्फ मिक्कू राव, हेमराज सोनी व एक अन्य पर आरोप लगाया है कि वे नागौर में बड़े स्तर पर क्रिकेट सट्टा/खाईवाली करते हैं । उन्होंने महबूब को इसमें शामिल कर लिया और इस लत का शिकार बना डाला। करोड़ा का सट्टे में गंवाने के बाद अधिक ब्याज दर पर उसे उधार दिया, जिसे चुकाने के लिए ये लोग उसे धमका रहे हैं। वसूली के लिए इन्होंने महबूब को बहुत परेशान किया व जान से मारने की धमकियां दी ।

नौकरी के नाम पर रकम

महबूब पर बुकी/सट्टेबाजों की उधारी वसूली के साथ फायरमैन भर्ती के दौरान भी लाखों की ठगी की बात कही जा रही है। बताते हैं कि महबूब ने भर्ती के नाम पर पांच से आठ लाख रुपए तक लिए थे। भर्ती नहीं होने पर पैसे का तकाजा करने लगे तो वो गायब हो गया। हालांकि लिखित तौर पर किसी ने इस संबंध में मामला दर्ज नहीं कराया। यही नहीं महबूब कनवर्जन चार्ज/पट्टे आदि के काम भी करवाता था, इसके लिए अलग से सुविधा शुल्क वसूलता था। उसके साथ इस काम में परिषद के और कौन-कौन जिम्मेदार थे, इस पर रहस्य बना हुआ है।