
कुछ सवालों के जवाब किताबों में नहीं मिलते। इन्हें खुद ही तलाशना होता है। 20 साल के मोहित गौड़ जब 7वीं कक्षा में थे तो शिक्षक से गणित से जुड़ा सवाल पूछा - माइनस और माइनस प्लस कैसे हो जाते हैं? अध्यापक निरुत्तर रहे।
राजस्थान में डीडवाना कुचामन जिले के रामसिया गच्छीपुरा गांव के मोहित ने 9 साल बाद खुद ही रिसर्च की और इसका जवाब ढूंढ लिया। गणित में रुचि रखने वाले आइटी कंपनी संचालक और यूट्यूबर मोहित ने इसके लिए यजुर्वेद, ब्रह्मस्फुट सिद्धांत सहित 12 से अधिक वैदिक ग्रंथों और आधुनिक स्रोतों का दो साल अध्ययन किया।
मोहित ने बताया कि आधुनिक गणित में शून्य की परिभाषा अपूर्ण है यानी शून्य का अर्थ कुछ भी नहीं (नथिंग) है, लेकिन शून्य तब बनता है जब किसी निश्चित पॉजिटिव या नेगेटिव नंबर में से उतना ही नेगेटिव या पॉजिटिव नंबर निकलता है। इसलिए गणना के दौरान जब माइनस (-) को माइनस (-) से जोड़ते हैं, तो उससे पहले एक शून्य भी होता है और इसी कारण प्लस (+) होता है। मोहित की मानें तो वैदिक शास्त्रों, खासकर 'ब्रह्मस्फुट सिद्धांत' में, शून्य को 'समैक्यम् खम्' कहा गया है।
Published on:
21 Jul 2024 11:35 am
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