
नाबालिग बालिकाओं का यौन उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है। औसतन हर दूसरे दिन जिले में पोक्सो का एक मामला दर्ज हो रहा है। इससे भी बड़ी बात यह कि पचास फीसदी से अधिक मामलों में तो शुरुआती दो-चार महीने में ही समझौते हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार नागौर जिलेभर में करीब पौने पांच साल में पोक्सो के करीब आठ सौ मामले दर्ज हो चुके हैं। नागौर जिले में वर्ष 2019 में 130, 2020 में 109, 2021 में 170 व वर्ष 2022 में 202 एफ आईआर दर्ज हुई थीं। इस साल करीब आठ महीने में पोक्सो के करीब डेढ़ सौ मामले दर्ज हो चुके हैं। करीब पौने पांच साल में कई मामलों में आरोपियों को कड़ी सजा भी मिली। पादूकलां में करीब दो साल पहले सात-आठ साल की मासूम के साथ दरिंदगी करने के बाद हत्या करने वाले आरोपी को तो मेड़ता पोक्सो कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। इसके बावजूद थाने में मामले दर्ज होते ही समझौते की कवायद शुरू हो जाती है।
करीब ढाई-तीन महीने पहले श्रीबालाजी थाना इलाके में एक नाबालिग से गैंगरेप हुआ। दो आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन बाद में मामले में दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया। जानकार सूत्रों का कहना है कि पोक्सो के आधे से अधिक मामलों में पीडि़ता बयान से पलट जाती हैं। राजीनामा कोर्ट के भीतर तो होता नहीं, बाहर दोनों पक्षों की आपसी सहमति के बाद बयान उलट दिए जाते हैं। हालांकि कुछ मामलों में कोर्ट ने इस पर सख्त रवैया अपनाते हुए दूसरे आधार पर आरोपी को सजा सुनाई। इसमें नाते-रिश्तों के साथ राजनीतिक दबाव भी अहम होता है। कई मामलों में पीडि़त पक्ष के लाचार/गरीब होने पर भी समझौते में आसानी हो जाती है। वैसे पोक्सो पीडि़ता को अधिकतम पांच लाख का मुआवजा मिलता है। और तो और काफी मामले में आरोपी जानकार/रिश्तेदार ही निकल रहे हैं।
आधे से अधिक मामलों में रजामंदी
पोक्सो के करीब पचास फीसदी मामलों में आरोपी को सजा नहीं हो पाती। फिजूल के राजीनामे के चलते पीडि़ता/पीडि़त पक्ष बयान से मुकर रहे हैं। नागौर जिले में कम उम्र की बच्चियों के साथ दरिंदगी के मामलों में तेजी आई है। कुछ में तो बच्ची के साथ गैंगरेप तक हुआ। यही नहीं कई आरोपी तक नाबालिग निकले। कई मामलों में नाबालिग को भगा ले जाने वाला तक नाबालिग निकला।
बयान से मुकरी तो मेडिकल साक्ष्य से आरोपी को उम्रकैद
एक ऐसा ही मामला तीन-साढ़े तीन साल पहले का है। श्रीबालाजी थाना इलाके में पोक्सो का एक मामला दर्ज हुआ, आरोपी केसाराम नायक गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने पंद्रह दिन में चालान पेश कर दिया और 25 दिन ट्रायल चला। इस दौरान पीडि़ता अपने बयान से मुकर गई तो मेडिकल साक्ष्य के आधार पर उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई। खास बात तो यह कि वो मेड़ता जेल से फरार होने पर पकड़ा गया, फिर मात्र तीन दिन की सुनवाई के बाद उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
दस लाख का मुआवजा पहुंचाने की तैयारी
पोक्सो पीडि़ता हो अथवा उनके परिजन, अधिकांश को नालसा स्कीम के तहत दिए जाने वाले पीडि़त प्रतिकर के बारे में जानकारी ही नहीं है। इसके तहत अधिकतम दस लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर की ओर से जिला बाल पीडि़त प्रतिकर सहायता समिति बनाई है। पूरे राज्य में वर्ष 2019 से 2022 तक की एफआईआर दर्ज कराने वाली 12 हजार 454 पीडि़ताओं को प्रतिकर सहायता समिति से लाभ देना तय हुआ है। अकेले नागौर जिले की 611 पीडि़ताएं इसमें शामिल है। इसमें प्रतिकर स्कीम का लाभ उन्हीं मामलों में दिया जाएगा, जिनमें चालान पेश हो चुका है।
इनका कहना
हां यह सही है। अलग-अलग तरीके से पीडि़त पक्ष को समझौते के लिए बाध्य किया जाता है। बयान से पीडि़ता मुकर रही हैं, आर्थिक, सामाजिक अथवा राजनीतिक दबाव के चलते पीडि़त पक्ष के समझौते का लाभ आरोपियों को मिल रहा है।
-सुमेर बेड़ा, विशिष्ट लोक अभियोजक,मेड़ता पोक्सो कोर्ट
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ऐसा कोई मामला मेरे सामने नहीं आया। ना ही किसी पीडि़त पक्ष ने समझौते के दबाव की शिकायत दी, अब किन परिस्थितियों में समझौते होते हैं, उस पर क्या कहा जा सकता है।
-ओमप्रकाश गोदारा, सीओ नागौर
Published on:
08 Sept 2023 09:38 pm
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