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राजस्थान का अनूठा चमत्कारिक मंदिर ‘जहां माता को लगता है ढाई प्याला शराब का भोग’

राजस्थान का अनूठा चमत्कारिक मंदिर 'जहां माता को लगता है ढाई प्याला शराब का भोग'

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नागौर

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rohit sharma

Mar 14, 2019

Bhanwal Mata temple Nagaur

Bhanwal Mata temple Nagaur

नागौर।

राजस्थान की धरा में वैसे तो कई चमत्कारिक मंदिरों का जिक्र मिलता है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक अनूठा चमत्कारिक मंदिर जहां भक्तों की मान्यता के आगे किसी की एक ना चलती है। भक्तों का मानना है कि माता भक्तों से ढाई प्याला शराब पीती है।

राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता तहसील में भंवालगढ़ गांव में स्थित भंवाल माता का मंदिर अपने इस अनूठे चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। भंवाल माता (Bhanwal Mata temple Nagaur) के मंदिर में माता की काली व ब्राह्मणी दो स्वरूप में पूजी जाती है। लोग दूर-दूर से माता के दरबार में मन्नत मांगने आते हैं।

भारत के साथ-साथ विदेशों से भी यहां श्रद्धालु आते हैं। देवी के इस मशहूर मंदिर की विशेषता माता को भक्तोंं द्वारा शराब का भोग लगाया जाना है। माता एक भक्त से ढाई प्याला शराब का भोग लगाती हैं। श्रद्धालुओं में मान्यता है कि माता उसी भक्त की शराब का भोग लगाती है, जिसकी मनोकामना या मन्नत पूरी होनी होती है और वह सच्चे दिल से भोग लगाता है।

मंदिर का इतिहास (History Of Bhanwal Mata Temple)

मंदिर प्रांगण के शिलालेख के अनुसार माता के मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 1119 में हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार विक्रम संवत 350 माघ बड़ी एकादशी को हुआ था। मंदिर प्राचीन हिन्दू स्थापत्य कला के अनुसार तराशे गए पत्थरों को आपस में जोड़ कर बनाया गया था। जिसमें खास ये रही कि ये मंदिर निर्माण में सीमेंट जैसे तत्वों का उपयोग नहीं हुआ है।

मंदिर से जुडी ये मान्यता भी है प्रसिद्ध (Story Of Bhanwal Mata Temple)

भंवाल माता मंदिर से जुडी एक कहानी भी काफी पुराने समय से बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि भंवाल मां प्राचीन समय में नागौर जिले के भंवालगढ़ गांव में एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे धरती से स्वयं प्रकट हुई थी। इस स्थान पर डाकुओं के एक दल को राजा की फौज ने घेर लिया था। मृत्यु को निकट देख उन्होंने मां को याद किया। मां ने अपने प्रताप से डाकुओं को भेड़-बकरी के झुंड में बदल दिया। इस प्रकार डाकुओं के प्राण बच गए। इस दौरान माता ने डाकुओं से मंदिर निर्माण की बात कही और डाकुओं ने मंदिर का निर्माण करवाया था।

भंवाल माता मंदिर में नवरात्रा के मौके पर भी विशेष मेला लगता है और यहां भारी मात्रा में भक्तों का जमावड़ा लगता है।