नागौर. जिला मुख्यालय के केन्द्रीय बस स्टैंड को प्रतिदिन लाखों का राजस्व उपलब्ध कराने वाले यात्रियों को गंदगी के साथ ही भीषण गर्मी में सफर करना पड़ रहा है। कारण यहां न केवल लगे पंखे बंद रहते हैं, बल्कि कुछ तो टूटे हुए हैं। केवल इतना ही नहीं, बल्कि रोडवेज परिसर में हर ओर बिखरा कचरा, इधर-उधर पड़े कचरे के बिखरे डस्टबीन, और इससे निकलती दुर्गन्ध के बीच यात्रियों को बेहद मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। विशेष बात है कि यहां पर बच्चे एवं महिलाओं के साथ सभी उम्र वर्ग के लोग आते हैं। ऐसे में इसके चलते यात्रियों में गंदगी से फैलने वाले बीमारियों से ग्रसित होने का संकट हर समय मंडराता रहता है। यह स्थिति तब है, जबकि रोडवेज की ओर से सफाई व्यवस्था का अनुबंध निजी एजेंसी को दे रखा है। हालात इतने खराब हैं कि पानी की प्याऊ तक में गंदगी बिखरी नजर आती है। सुविधाओं का हाल यह है कि बच्चों को दुग्धपान कराए जाने के लिए बने वात्सल्य कक्ष में 24 घंटे ताला लटकता रहता है। विशेष बात यह है कि इस संबंध में रोडवेज के मुख्य प्रबंधक के पास यदा-कदा यात्री पहुंच भी जाते हैं शिकायत करने तो जवाब मिलता है कि यही सब देखने के लिए बैठे हैं क्या हम… सफर के लिए जाने वाला यात्री भी रोडवेज प्रबंधक के ऐसे बर्ताव से मर्माहत होकर विवशता में जिम्मेदारों को कोसता हुआ निकल जाता है।
रोडवेज का आखों देखा हाल
बिखरी गंदगी, परेशान यात्री
रोडवेज परिसर में प्रवेश करते ही सीधा सामना कचरे के ढेर से हुआ। गेट के पास प्लेटफार्म के बिलकुल बगल में कचरा बिखरा हुआ था। यहां से आगे बढ़े तो यात्रियों के प्रतीक्षा स्थल परिसर में एक सिरे से लेकर दूसरे सिरे तक हर ओर कचरा बिखरा हुआ था। इससे यात्री परेशान रहे।
उल्टी डस्टबीन, बिखरा कचरा
रोडवेज परिसर में दो डस्टबीन मिली। दोनो ही उल्टी पड़ी हुई थी। इसमें डला हुआ कचरा बाहर फैला हुआ था। इस दौरान अगल-बगल से गुजरते यात्री अपने मुंह पर रुमाल रखकर निकलते नजर आए।
बंद पंखा, गर्मी से बेहाल
भीषण गर्मी के बीच यात्री बेहाल नजर आए। कारण यहां पर लगे हुए सारे पंखे बंद थे। इनमें से कुछ पंखे तो टूटे हूए थे। इसके चलते बच्चे ज्यादा परेशान रहे। महिलाएं एवं परिजन रोडवेज को कोसते हुए नजर आए।
वात्सल्य कक्ष में लगा ताला
रोडवेज परिसर में ही एक महिला दूसरे नंबर की बुकिंग विंडो के पास साड़ी की आड़ में अपने बच्चे को स्तनपान कराती मिली। कारण कि कि बगल में बने हुए वात्सल्य कक्ष में लगा ताला यात्री सुविधा की तस्वीर प्रदर्शित करता नजर आया। इससे महिला परेशान तो हो रही थी, लेकिन रोते बच्चे को दुग्धपान कराना भी मजबूरी थी।
गंदगी में प्याऊ, पीने में भी मुश्किल
जिला स्तरीय केन्द्रीय बस स्टैंड में निर्मित एकमात्र प्याऊ की दीवारें में गंदगी में पूरी तरह डूबी नजर आई। जहां नल लगा हुआ था, उस जगह पर भी अंदर कचरा पड़ा था। इसकी वजह से लोगों को पीने में भी मुश्किल हो रही थी। नाम नहीं बताए जाने पर यहां एक व्यक्ति ने बताया कि परिसर में सफाई होती ही नहीं है।
इनका कहना है…
रोडवेज बस स्टैंड की व्यवस्था बेहतर है। यहां सफाई तो होती है, लेकिन यात्री खुद ही गंदगी फैला देते हैं। मेरा काम तो बसों की व्यवस्था देखना है। अन्य कार्यों के लिए समय नहीं रहता है।
मुकुन सिंह, मुख्य प्रबंधक, केन्द्रीय बस स्टैंड नागौर