नागौर

Nagaur patrika…आत्मा को शुद्ध करने का कार्य साधना करती है

नागौर. जयमल जैन पोषधशाला में चल रहे चातुर्मास प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने “साधक, साधना और साध्य” विषय की महत्ता समझाते हुए कहा कि साधक वह है, जो आत्मा के जागरण की दिशा में पहला कदम उठाता है। आत्मा को शुद्ध करने की प्रक्रिया साधना होती है। यह आत्मा को पूर्ण रूप से शुद्ध […]

less than 1 minute read
Jul 24, 2025

नागौर. जयमल जैन पोषधशाला में चल रहे चातुर्मास प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने "साधक, साधना और साध्य" विषय की महत्ता समझाते हुए कहा कि साधक वह है, जो आत्मा के जागरण की दिशा में पहला कदम उठाता है। आत्मा को शुद्ध करने की प्रक्रिया साधना होती है। यह आत्मा को पूर्ण रूप से शुद्ध करने का कार्य करती है। साध्य मोक्ष की चरम अवस्था आध्यात्मिक उन्नति की त्रिवेणी कहलाती है। उन्होंने भगवान महावीर स्वामी के 25वें भव में नंदन मुनि के रूप में हुए संयम, तप और आत्मबल के प्रसंगों को विस्तार से प्रस्तुत करते हुए कहा कि नंदन मुनि की गहन साधना और 20 प्रभावशाली बोलों की आराधना के फलस्वरूप उन्हें तीर्थंकर नामकर्म की प्राप्ति हुई। यह आत्मशुद्धि का अद्भुत उदाहरण है। राजा समुद्रविजय और रानी शिवादेवी के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि रानी के देखे गए 14 शुभ स्वप्नों के माध्यम से तीर्थंकर नेमीनाथ का जन्म हुआ। तीर्थंकर जन्म के समय मेरुपर्वत पर देवों, इन्द्रों और कुमारिकाओं ने दिव्य उत्सव मनाया। उनका जन्म मात्र नरकों तक में प्रकाश और शांति का संचार करता है। तीर्थंकर के गुणों का स्मरण साधक को इस भव और परभव दोनों में सुखी बनाता है। संघ मंत्री हरकचंद ललवाणी ने बताया कि प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने वालों में संगीता ललवाणी, महावीरचंद भूरट को सुरेशचंद महेश कोठारी के सौजन्य से रजत मेडल से सम्मानित किया गया। सरला देवी धनराज सुराणा, सुनीता सेठिया व सपना ललवाणी को प्रश्नोत्तर का लाभ मिला। जीवदया में प्रकाशचंद बोहरा, धनराज सुराणा का सहयोग रहा। प्रवचन प्रभावना का लाभ धनराज मनोज सुराणा ने लिया। संचालन संजय पींचा ने किया। इस मौके पर कमलचंद ललवाणी, दीपक सैनी, अशोक नाहटा, नरपतचंद ललवाणी, जितेन्द्र चौरडिया, प्रेमचंद चौरडिया, किशोर पारख आदि मौजूद थे।

Published on:
24 Jul 2025 10:21 pm
Also Read
View All

अगली खबर