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बड़े पीर साहब की दरगाह सुनाती है इतिहास की दास्तां

म्यूजियम में मौजूद है बरसों पुरानी यादें

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College Accessed Chinese Content Boycott Movement

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नागौर . बरसों से संवारी गई चीजों को देखते ही मन खुश हो जाता है। इन चीजों के साथ इतिहास जुड़ा है। यादों की फेहरिस्त भले ही कितनी लंबी हो, लेकिन जीता-जागता सबूत उसकी कशिश बढ़ा देता है। यही सब कुछ सुकून देता है शहर के सैयद सैफुद्दीन जीलानी रोड बड़े पीर साहब की दरगाह स्थित म्यूजियम को देखने पर। सैकड़ों सालों पुरानी ऐतिहासिक चीजें संग्रहालय में है। इसका शुभारंभ 17 अप्रेल 2008 को मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने किया था। सज्जादानशीन पीर सदाकत अली जीलानी ने बताया इस म्यूजियम में सबसे अहम चीज हजरत सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी के हाथों सुनहरी कलम से लिखा हुआ कुरान शरीफ, छड़ी व उनकी पगड़ी भी म्यूजियम की खूबसूरती को बढ़ाता है। राजाओं द्वारा जागीरों और अन्य कार्यों में दिया हुआ शाही फरमान और जोधपुर महाराजा मानसिंह द्वरा वर्ष1894 में दरगाह बड़े पीर साहब के उस वक्त के सज्जादानशीन ताम्र पत्र के साथ राजा-महाराजाओं द्वारा दरागाह सज्जादानशीनों को दिए गए पत्र व शाही फरमान भी मौजूद है।
डाक टिकटों के साथ पुराने सिक्के
1805 के समय के भारतीय सिक्कों के अलावा, नेपाल, अरब, ओमान, अब्राहम लिंकन के चित्र वाला अमरीकी सिक्का, जयपुर -नेपाल राजघराने का सिक्का, पुरानी ऐतिहासिक डाक सामग्री, इंडियन रजिस्ट्री लेटर, लिफाफा, इण्डियन पोस्टकार्ड, पोस्ट टेलिग्राम, अंतरदेशी पत्र से लेकर 1965 तक के डाक समेत एक-दूसरे से संपर्क करने वाली सामग्री देखने को मिलती है।
शाही पालकी
म्यूजियम में शाही पालकी जो इस्लामिक हिजरी 1091 के अनुसार सन् 1680 में बादशाह औरगंजेब आलमगीर ने दरगाह बड़े पीर साहब के सज्जादानशीन मोहम्मद हामिद को दी थी। यह पालकी भी म्यूजियम में मौजूद है।
तलवार-भाले ही नहीं चिरागदान तक
म्यूजियम में वर्ष 1505 के समय की तलवार, पल्लम भाले। वर्ष 1857 के समय की लोहे की चिमनियां। वर्ष 1902 के मोमबत्ती -अगरबत्ती स्टेण्ड, गुलाबदानी, तराजू, ताले, चांबी, पीतल के बर्तन, पॉकेट घड़ी के साथ ही वर्ष 1907 के हाथी दांत से बनी छड़ी, पान दान से भी रौनक है। वर्ष 1908 के कांच के गोले, बाट, प्याले, वर्ष 1908 के समय की 5 इंच की तोप, गुम्बदों के सैकड़ों साल पुराने कलश व सामान के साथ वर्ष 1910 के पीतल व लोहे के चिरागदान ही नहीं वर्ष 1855 के समय की लकड़ी की छोटी व बड़ी प्लेट भी यहां शोभायमान है। वर्ष 1680 के बादशाह औरगंजेब के दिए हुए हाथ से झुलाने वाले पंखे, शुतुरमुर्ग के अण्डे समेत अनेक हैरतंगेज चीजें मौजूद हैं। इसके अलावा म्यूजियम में दरगाह के बारे में जानकारी देने के लिए पुराने व नए फोटो के अलावा उन पर लिखे ब्योरे के साथ विभिन्न प्रकार की इतिहास की सामग्री भी उपलब्ध है।