
Peanut not Purchase on support price
नागौर. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही खरीद के माध्यम से राज्य सरकार किसानों को राहत कम दे रही जबकि उनके धैर्य की परीक्षा ज्यादा ले रही है। पहले मूंग खरीद में तरह-तरह की शर्तें लगाकर किसानों को दर-दर भटनके लिए के लिए मजबूर करने के बाद अब मूंगफली खरीद में भी किसानों को परेशान करने के अलावा कुछ नहीं हो रहा है।
मूंगफली बेचने के लिए किसानों को ई-मित्र से टोकन तो जारी हो रहा है, लेकिन खरीद केन्द्र की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है। ऐसे में किसान भटक रहे हैं। मंगलवार को नागौर कृषि मंडी पहुंचे किसान मांगूराम ने बताया कि उसने मूंगफली बेचने के लिए दो दिन पहले टोकन कटवाया। टोकन लेने के बाद उसके पास सोमवार को मैसेज आया कि वह अधिकतम 25 क्विंटल मूंगफली लेकर 24 अक्टूबर को मंडी पहुंचे। मैसेज के अनुसार वह मंडी पहुंचा तथा मूंग की खरीद कर रही दी नागौर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी के अधिकारियों से मिला तो उन्होंने बताया कि मूंगफली खरीद को लेकर उनके पास किसी प्रकार के दिशा-निर्देश नहीं हैं। मांगूराम जैसे दर्जनों किसान मंगलवार को मंडी पहुंचे और उन्हें यही जवाब मिला।
न मंत्री को चिंता न विधायक को
मूंग एवं मूंगफली को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए जिले के किसान पिछले एक महीने से परेशान हो रहे हैं, लेकिन न तो जिले से जुड़े मंत्रियों को किसानों की चिंता है और न ही विधायकों को। गत दिनों नागौर दौरे पर आए सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक से जब किसान अपनी समस्या को लेकर मिले तो उन्होंने थोथा आश्वासन देकर कन्नी काट ली, लेकिन अब तक न तो मूंग खरीद की सीमा बढ़ी है और न ही मूंगफली के खरीद केन्द्र शुरू हो पाए हैं। खुद को किसान हितैषी बताने वाले भाजपा नेता भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।
देर रात तक होती है मंूग खरीद
समर्थन मूल्य पर मूंग बेचने आ रहे किसानों को मंडी के आगे लम्बी-लम्बी कतारों में खड़ा रहना पड़ रहा है। टोकन संख्या अधिक होने तथा तुलाई के लिए कांटे कम होने के कारण किसानों को दिनभर इंतजार करना पड़ता है। मंडी में स्थिति यह है कि देर रात तक मूंग की तुलाई जारी रहती है।
हम मूंगफली खरीदने की स्थिति में नहीं
हमारी स्थिति ऐसी नहीं है कि हम मूंग के साथ मूंगफली की खरीद भी कर लें और न ही हमारे पास इसको लेकर कोई दिशा-निर्देश हैं। मंगलवार को काफी किसान मूंगफली के टोकन लेकर मेरे पाए आए थे। हमने इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को भी दे दी है। नागौर के साथ जायल में भी मूंग खरीद की जिम्मेदारी हमारी सोसायटी की दी गई है। एक दिन में 100 से अधिक किसानों के मूंग खरीदने पड़ते हैं।
- बाबूलाल, केन्द्र प्रभारी, दी नागौर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी, नागौर
Published on:
25 Oct 2017 10:58 am
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