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VIDEO….राज्य स्तरीय रामदेव पशु मेला में नागौरी बैल फिर बना सरताज

रामदेव पशु मेला मेेंं विजेता पशुपालकों का किया गया सम्मानित

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Nagaur news

Nagauri bull becomes king again in state level Ramdev cattle fair

नागौर. रामदेव पशु मेला की पहचान नागौरी बैलों से है। इसको संरक्षित करने का कार्य पशु पालक बेहद इमानदारी से कर रहे हैं। अतिरिक्त जिला अधिकारी अशोक कुमार सोमवार को रामदेव पशु मेला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आए पशुपालक नागौरी बैलों को लेकर जाते हैं। इससे साफ है कि नागौरी बैल देश के श्रेष्ठतम बैलों में शामिल हैं। इनके संरक्षण का कार्य सभी को मिलकर करना चाहिए। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हिम्मताराम भांभू ने कहा कि गोवंशों का संरक्षण करना बेहद जरूरी है। इनके दूध की गुणवत्ता का सर्वश्रेष्ठ है। दुग्ध के साथ ही पर्यावरण जैविक चक्र को संतुलित रखने के लिए भी इनका संरक्षण आवश्यक है। वर्तमान में गोवंशों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इसके लिए राज्य के साथ ही आमजन को भी मिलकर काम करना होगा। पूर्व विधायक मोहनराम चौधरी ने भी गोवंश का संरक्षण श्रेयस्कर बताया। पर्यावरण प्रेमी प्रेमसुख जाजड़ा ने कहा कि गोवंशों का संरक्षण जरूरी है। अगले वर्ष से राज्य के पुरस्कार की राशि के साथ ही वह भी तकरीबन एक लाख की राशि का सहयोग किया करेंगे। पूर्व प्रधान ओमप्रकाश सेन ने कहा कि पहले प्रदेश में दुग्ध की धारा बहती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। इसलिए गोवंश का संरक्षण जरूरी है। इस मौके पर रामदेव पशु मेला का एक गेट बनवाए जाने की घोषणा की। कार्यक्रम में मौजूद राजाराम सिरोही ने भी मेला का एक गेट बनवाने के लिए आश्वस्त किया।
पशु प्रतियोगिता के विजेताओं को किया सम्मानित
समारोह में पशु प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। इनमें अश्व वंश बछेड़ी में पहले नंबर पर आए जयपुर के राजपाल यादव को 11 सौ, दूसरे नंबर पर आए जायल, झाड़ेली के हरिसिंह को पांच सौ, तीसरे नंबर पर आए कुचामनसिटी के मांगीलाल को तीन सौ की राशि पुरस्कार स्वरूप दी गई। इसी तरह सवारी ऊंट प्रथम रहे परबतसर, मेहरासी के तिलोकराम को 21 सौ, दूसरे पर रहे पुष्कर, कनायड़ा के नानू सिंह रावत को 11 सौ, तीसरे पर रहे परबतसर, मेहरासी के छोगाराम को पांच सौ की राशि दी गई। ऊंट मादा में दूसरे नंबर पर रहे परबतसर पीपलाड के इरफान को 11 सौ, तीसरे पर रहे सुजानगढ़, मूंदड़ा के भंवराराम को पांच सौ की राशि दी गई। ऊंट नर में प्रथम रहे नावां, इंदोखा के राजेन्द्र सिंह को 21 सौ, दूसरे पर रहे बीकानेर के इमरान को 11 सौ, तीसरे पर रहे पुष्कर कनायड़ा के नानू सिंह को पांच सौ की राशि दी गई। भैंस मुर्रा में जायल, सोमणा के सुरेश कुड़ी को 21 सौ, दूसरे पर रहे मूण्डवा के कालूराम को 11 सौ, डेह के खेजराराम को पांच सौ की राशि दी गई। भैंसा मुर्रा में पहले नंबर पर रहे रियाबड़ी, अरनियाला के बक्साराम जंगलिया को 21 सौ, दूसरे पर रहे मेड़ता, श्यामपुरा के थानाराम जंगलिया को 11 सौ, तीसरे पर डेगाना, कालड़ी के पदमाराम जंगलिया को पांच सौ की राशि दी गई। सांड घोड़ा में प्रथम रहे लुधियाना, भाड़ेवाल के सिमरनजीत सिंह को 21 सौ, दूसरे पर रहे जोधपुर, कड़वड़ के भीम सिंह को 11 सौ, तीसरे पर रहे डीडवाना के आसुसिंह को पांच सौ की राशि दी गई। घोड़ी प्रजनन में प्रथम रहे जायल, जालनियासर के गिरधारी सिंह को 21 सौ, नागौर के केशव गहलोत को 11 सौ, तीसरे पर रहे बावड़ी मेलावास के भैरूसिंह को पांच सौ की राशि दी गई। बछेरा अश्व वंश में प्रथम रहे नागौर के विष्णु परिहार को 11 सौ, दूसरे पर रहे डेगाना भारली के तिलोकराज जाट को पांच सौ, तीसरे पर रहे नागौर के राकेश यादव को तीन सौ की राशि दी गई। बैल जोड़ी अदंत में प्रथम रहे मूण्डवा, खरनाल के अर्जुनराम धौतिलया को 11 सौ, दूसरे पर रहे जायल फरड़ौद के राकेशपुरी को पांच सौ, तीसरे पर रहे जायल फरड़ौद के ही लालपुरी को तीन सौ की राशि दी गई। बैल जोड़ी दो से चार दांत में प्रथम रहे मूण्डवा अड़वड़ के बस्तीराम जाट को 21 सौ, दूसरे पर रहे बलाया के भगवतराम जाट को 11 सौ, तीसरे पर रहे नागौर सिणौद के अमराराम जाट को पांच सौ की राशि दी गई। बैल जोड़ी छह से आठ दांत में प्रथम रहे नागौर भाकरोद के रामकिशोर को 21 सौ, दूसरे पर रहे मकराना खारडिय़ा के प्रमाराज जाट को 11 सौ, तीसरे पर रहे मूण्डवा सैनणी के घमण्डाराम जाट को पांच सौ की राशि दी गई। सांड बछड़ा नागौरी में प्रथम रहे डेगाना के राहुल को 11 सौ, दूसरे पर रहे डेगाना बरणा के मुकेश को पांच सौ, तीसरे पर रहे जायल नराधना के ठाकुरराम जाट को तीन सौ की राशि दी गई। गाय सुखी नागौरी में प्रथम रहे मूण्डवा रूण के भीकाराज जाट को 11 सौ, दूसरे पर रहे नागौर राठौड़ी कुआं के रामकुंवार माली को पांच सौ और तीसरे पर रहे मूण्डवा के राजेन्द्र को तीन सौ की राशि पुरस्कार स्वरूप दी गई।