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Nagaur patrika…बिना लेआउट प्लान स्वीकृत बना दी गई कालोनियों में न तो पार्क मिला, और न ही सुविधाएं

-शहर एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में कॉलोनियां तो बन गई, लेकिन प्रावधानों की पालना नहीं की गई-मिलीभग के खेल में शहरी आवासीय संरचना के प्रावधान टूटे-पिछले दो वर्षों के दौरान दर्जनों की संख्या में कई जगहों पर मनमर्जी से बना दी गई कॉलोनियां, अब यहां पर सुविधाओं के नाम पर स्थिति जीरो होने से […]

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-शहर एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में कॉलोनियां तो बन गई, लेकिन प्रावधानों की पालना नहीं की गई
-मिलीभग के खेल में शहरी आवासीय संरचना के प्रावधान टूटे
-पिछले दो वर्षों के दौरान दर्जनों की संख्या में कई जगहों पर मनमर्जी से बना दी गई कॉलोनियां, अब यहां पर सुविधाओं के नाम पर स्थिति जीरो होने से स्थिति बिगड़ी
बिना लेआउट स्वीकृत कॉलोनियों की जांच करा कार्रवाई करेगा नगरपरिषद
बिना लेआउट प्लान स्वीकृत बना दी गई कालोनियों में न तो पार्क मिला, और न ही सुविधाएं
-शहर एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में कॉलोनियां तो बन गई, लेकिन प्रावधानों की पालना नहीं की गई

नागौर. शातिरों ने कृषि भूमि के अलग-अलग टुकड़े कर उसका बेचान कर शातिरों ने करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया है। इसके चलते पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कॉलोनियों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर इन क्षेत्रों में पक्की सडक़ें, स्वच्छता एवं सीवरेज आदि सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव होने के चलते लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अब नगरपरिषद के अधिकारियों का कहना है जल्द टीम का गठन कर क्षेत्रों की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
इनकी होनी चाहिए जांच
बताते हैं कि गुड़ला रोड, सलाऊ रोड, बासनी रोड, इंदास रोड एवं मूण्डवा रोड आदि क्षेत्रों में कॉलोनियां बन गई। सूत्रों के अनुसार इन कॉलोनियों को बनाने वालों ने लेआउट प्लान ही स्वीकृत नहीं कराया। लेआउट प्लान स्वीकृत होता तो फिर कॉलोनी में पार्क भी बनता, और व्यवस्थिति सडक़ों के साथ सीवरेज का पूरा सिस्टम तैयार कराकर देना पड़ता। इसलिए ज्यादातर लोगों ने स्वीकृत कराने की जहमत ही नहीं उठाई। इसके चलते इन कॉलोनियों में सुविधाओं के नाम स्थिति शून्य बनी हुई है। इसके चलते इन कॉलोनियों में रहने वालों में असंतोष की स्थिति बन गई है।
इसकी पालना होने पर जमा करना पड़ेगा राजस्व
बताते हैं कि अधिकाधिक मुनाफा कमाने की होड़ में अधिकतर ने कॉलोनियां तो बना दी, लेकिन इसका लेआउट प्लान स्वीकृत नहीं कराया। लेआउट प्लान में सडक़, बिजली पानी, सीवरेज, पार्क, आने-जाने के रास्ते आदि सभी को दर्शाया जाता है। इनको दर्शाए जाने के बाद फिर इसे स्वीकृति के लिए आवेदन कर दिया जाता है। आवेदन के बाद इसकी जांच के लिए बाकायदा समिति गठित होती है। समिति जांच कर अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपती है। यह प्रक्रिया करेंगे तो इनको फिर कॉलोनी के हिसाब से राजस्व जमा करना पड़ेगा, लेकिन इसकी प्रक्रिया में अब कॉलोनाइजर शामिल ही नहीं होते हैं। ऐसे में मिलीभगत के खेल में नुकसान राजस्व का हो रहा है।
अनाधिकृत कॉलोनियों की जांच करने के लिए नगरपरिषद की ओर से टीम बनाई जाएगी। टीम में विशेषज्ञों को शामिल कर ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित कर प्रावधानों के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इसकी रूपरेखा तैयार कर टीम का गठन कर लिया जाएगा। इसके बाद इसकी गतिविधियों पर भी पूरी नजर रखी जाएगी।

शहर की आवासी संरचना बिगड़ रही
नगरपरिषद के पूर्व सहायक नगर नियोजक मामराज चौधरी का कहना है कि कॉलोनी बनाने वालों को लेआउट प्लान स्वीकृत कराने की स्थिति में पूरे प्रावधान का पालन करना पड़ता है। इसलिए बिना ले आउट प्लान स्वीकृत हुई कॉलोनियों में रहना ही नहीं चाहिए। कॉलोनी बनाने वाला इन प्रावधानों की यदि पालना नहीं करता है तो फिर वह शहरी संरचना का ढांचा असंतुलित करने के साथ ही वहां रहने वालां को मूलभूत सुविधाओं से वंचित करने का काम करता है। यह वास्तव में बेहद गंभीर स्थिति है।
मामराज चौधरी, पूर्व सहायक नगरनियोजक, नगरपरिषद