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VIDEO…यहां पर कोई नहीं रहा वंचित, हर प्रतिभा को दिया गया सम्मान

Nagaur. प्रतिभाएं सदैव समाज को उपकृत करने का कार्य करती है-माली समाज का राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह-लिखमीदास महाराज स्मारक विकास संस्थान की ओर से हुए सम्मान समारोह में आठ प्रतिभाओं को स्वर्ण, सात को रजत एवं सात अन्य को लघु रजत पदक से किया सम्मानित-कार्यक्रम में लगभग कुल छह सौ प्रतिभाओं को किया गया सम्मानित-देर रात्रि तक चली भजन सरिता में झूमे श्रद्धालु

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नागौर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अश्विनी ने कहा कि सभी समाजों में शिक्षा व संस्कार का व्यापक महत्व है। नागौर. जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रो. अश्विनी ने कहा कि प्रतिभाएं अपना रास्ता ढूंढ ही लेती है, बशर्तें इनको सही तरीके से तराशा जाए तो यह फिर निश्चित रूप से अपनी चमक से समाज को भी उपकृत करने का कार्य करती हैं। प्रो. अश्विनी रविवार को संत लिखमीदास महाराज स्मारक संस्थान अमरपुरा की ओर से लिखमीदास महाराज स्मारक परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। इस दौरान आठ प्रतिभाओं को स्वर्ण, सात को रजत पदक एवं सात अन्य को रजत पदक से सम्मानित किया गया। पूरे कार्यक्रम के करीब मेधावी, सरकारी सेवा में चयनित एवं विशिष्ट कार्य करने वाले लगभग छह सौ लोगों को सम्मानित किया गया। प्रो. अश्विनी ने कहा कि अपने समाज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इसमें परिवार के साथ साथ भामाशाह व शिक्षाविदों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है । उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में समाज के लोगों ने उत्कृष्ट कार्य करते हुए प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश को अपनी प्रतिभाओं से चौंकाया है। शिक्षा, राजनीति, विज्ञान एवं सामाजिक कार्यों से लेकर व्यापारिक क्षेत्रों में समाज की प्रतिभाओं का दबदबा रहा है। अध्यक्षीय उद्बोधन संस्थान के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत ने कहा कि संस्थान की ओर से प्रत्येक वर्ष इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर न केवल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जाता है, बल्कि सामाजिक रूप से सार्वजनिक तौर पर उनको सम्मानित कर समाज को प्रेरित करने का काम किया जाता रहा है। ऐसे आयोजनों में पूरे समाज की एकजुटता वास्तव में देखने लायक रहती है। कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों से नहीं, बल्कि समूचे देश से श्रद्धालु लिखमीदास महाराज स्मारक का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं तो इनका अध्यात्मिक ज्ञानवर्धन होने के साथ ही मानसिक रूप से सामाजिक मजबूती मिलती है। उन्होंने कहा कि आज लिखमीदास महाराज स्मारक परिसर में माली समाज का यह मेला नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता को संदेश देने का एक स्थल के रूप में नजर आ रहा है। यह वास्तव में बेहद प्रसन्नता की बात है कि विभिन्न जिलों एवं देश के अन्य राज्यों से आए समाज के लोग एक मंच के नीचे एकसाथ बैठे हुए हैं।
भजनों की सरिता बही
देर रात्रि चले भजन संध्या कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गायकों ने लिखमीदास महाराज की भक्ति पर भजनों की शृंखला प्रस्तुत की। देर रात तक श्रद्धालु भजनों की सरिता में डूबे रहे। श्रद्धा के उत्साह में कई श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम के दौरान भक्ति नृत्य का भी प्रदर्शन किया।
नानी बाई का मायरो में समझाई नरसी भगत की भक्ति की महत्ता
नानी बाई रो मायरो" नरसीजी, नानी बाई और सांवरिया (श्री कृष्ण) की कहानी है । यह परोपकारी भक्ति की एक बेहतरीन कहानी है जिसने भगवान को भी मंत्रमुग्ध कर दिया! कहानी रिश्तों, बंधनों और विश्वास के बारे में बात करती है। मायरा एक विवाह समारोह है जहां एक मामा अपनी बहन को अपना प्यार दिखाता है। नानी बाई का मायरो रो कथा में रविवार को रामस्नेही संत व बड़ा रामद्वारा जोधपुर के महंत रामप्रसाद महाराज ने कहा कि यह कथा एक परोपकारी भक्ति की कथा है। इसमें रिश्तों, बंधनों व विश्वास के साथ भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि नरसी मेहता ऐसे ही एक महान भक्त थे। नरसी मेहता जब बहुत ही छोटे थे तब ही इनके माता पिता का देहांत हो गया था। नरसी मेहता का पालन पोषण नरसी के बड़े भाई ने किया था। नरसी मेहता को साधुओं की सेवा करने में बड़ा आनन्द आता था। उन्हीं साधुओं की सेवा करते करते नरसी ने भी सत्संग में भगवान की भक्ति शुरू कर दी। उनकी भाभी ने उनको कई बार इसके लिये ताने दिये नरसी मेहता का विवाह भी बहुत छोटी आयु में माणिकबाई से करा दिया गया था। उन्होंने कहा कि देर से आने पर भक्त नरसी को भाभी खरीखोटी सुनाई तो वह घर से निकल गए। गिर पर्वत के घने जंगल में पहुंचे नरसी शिवालय में शिव आराधना में लीन हो गए। इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनको गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण का गोपियों के संग रासलीली के दिव्य रंग में ऐसा डूबे कि उनकी भक्ति में ही खोकर रह गए।
आज होगा समापन
पाटोत्सव में चल रहे कार्यक्रमों की शृंखला में नानीबाई का मायरा कथा का समापन सोमवार को दोपहर 12 बजे होगा। इस दौरान सुबह दस बजे देव मंदिर व स्मारक स्थल के शिखर पर ध्वजारोहण किया जाएगा।
कार्यक्रम में यह रहे मौजूद
उपाध्यक्ष मोती लाल सांखला, सचिव राधाकिशन तंवर, कोषाध्यक्ष कमल भाटी, कार्यकारिणी सदस्य धर्मेंद्र सोलंकी, भगवानाराम, सैनिक क्षत्रिय माली संस्थान के अध्यक्ष कृपाराम देवड़ा, बहादुर सिंह भाटी, जीवनमल भाटी, पन्नालाल सांखला, लोकेश टाक, प्रेमचंद भाटी, नेमीचंद कच्छावा, झालावाड़ के हरगोपाल भाटी, मनोहर सांखला, चेतन गहलोत, प्रमोद पंवार, डॉ शंकरलाल परिहारआदि मौज्ूाद थे।