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पशु, पक्षियों व निराश्रितों की सेवा करने वालों को ही अक्षय धन मिलता है

Nagaur. जयमल जैन पौषधशाला में साध्वी ने समझाई दान व सेवा की वास्तविकता

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Only those who serve animals, birds and the destitute get renewable wealth.

Nagaur. Shravak listening to discourses in Jaimal Jain Nursery

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में मंगलवार को प्रवचन में साध्वी बिंदुप्रभा ने कहा कि दान देने से देनेवाले की पुण्यवाणी तो बढ़ती ही है। इसे पाने वाले की आवश्यकता की पूर्ति भी हो जाती है। धन की तीन गतियाँ बताई गई है। इन तीन गतियों में दान, भोग और नाश है। उत्कृष्ट भावों से योग्य पात्र को दिया हुआ दान ही शुभ परिणाम देता है। दानों में श्रेष्ठ अभयदान है। इसमें सभी प्रकार के प्राणियों को भय से मुक्त कर दिया जाता है। धर्म ध्यान की श्रेणी में आने वाले सुपात्र दान का महत्व समझाते हुए साध्वी ने कहा कि दान देते समय यदि द्रव्य, भाव और पात्र की शुद्धि है तो सहज में सम्यक्त्व की प्राप्ति हो सकती है। नाम कर्म की सर्वोत्कुष्ट प्रकृति तीर्थंकर गोत्र का उपार्जन भी दान के द्वारा किया जा सकता है। प्राणी मात्र के प्रति अनुकंपा दर्शाते हुए श्रावक सेवा भाव से पशु-पक्षियों की सेवा करता है। ऐसे मनुष्य के पास ही लक्ष्मी स्थिर रहती है। जैनागमों में अनेक राजकुमारों एवं ॠद्धि-संपन्न महापुरुषों का उल्लेख मिलता है कि पूर्व भवों में उच्च भावों से मुनिराजों को आहार दान दिया था। परिणामस्वरूप सुख-समृद्धि प्राप्त की थी। एक आदर्श श्रावक को भी प्रतिदिन कुछ ना कुछ दान करने की भावना रखनी चाहिए। इससे उसके कर्म हल्के हो सके। धर्म के चार स्तम्भ एवं मोक्ष के चार द्वार - दान, शील, तप, भाव में भी दान का प्रथम स्थान है।
जय जाप का हुआ अनुष्ठान
प्रवचन की प्रभावना, जय जाप की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी मोतीलाल, कंवलमल ललवानी रहे। । प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर सुनील ललवानी, दीपक सैनी, मंजूदेवी ललवानी एवं तोषिना ललवानी ने दिए। आगंतुकों के भोजन का लाभ महावीरचंद, पारस भूरट ने लिया। दोपहर में जय जाप किया गया। संचालन संजय पींचा ने किया।इस मौके पर प्रकाशचंद बोहरा, किशोरचंद ललवानी, अमीचंद सुराणा, प्रेमचंद चौरडिय़ा आदि मौजूद थे।