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पावर कट यानी दुविधाओं से फेस-ऑफ! ऑपरेशन, एक्स-रे व जांचें रुक जाती हैं…

मेड़ता सिटी. बार-बार विद्युत कटौती और इसकी वजह से ऑपरेशन रुक जाना, एक्स-रे सहित लैब की सभी जांचें ठप्प हो जाना...। अब कुछ ही समय में सीएचसी से उपजिला अस्पताल बनने वाले हॉस्पिटल में यह सब नहीं चलेगा। क्योंकि तब अस्पताल की जिम्मेदारियां और दबाव दोनों बढ़ जाएंगे।

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मेड़ता सिटी. वार्ड में नवजात को प्रसूति कार्ड से हवा डालती महिला।

मेड़ता सिटी. बार-बार विद्युत कटौती और इसकी वजह से ऑपरेशन रुक जाना, एक्स-रे सहित लैब की सभी जांचें ठप्प हो जाना...। अब कुछ ही समय में सीएचसी से उपजिला अस्पताल बनने वाले हॉस्पिटल में यह सब नहीं चलेगा। क्योंकि तब अस्पताल की जिम्मेदारियां और दबाव दोनों बढ़ जाएंगे। साथ ही घोषित कटौती व मानसून के दिनों में बारिश की वजह से बार-बार होने वाली लाइट की आंख-मिचौली अस्पताल समय में दुविधा बढ़ा देगी। इसलिए समय रहते मेड़ता में अस्पताल के लिए अलग से 150 केवी के नए ट्रांसफॉर्मर लगाए जाने की जरूरत है।

मेड़ता शहर सहित उपखंड के 100 गांवों की लाखों आबादी को चिकित्सा सेवा मुहैया कराने वाली सीएचसी चरमराए विद्युत तंत्र से काफी परेशान है। पहले गर्मियों के दिनों में विद्युत कटौती व कम वॉल्टेज और अब बारिश के दिनों में मौसम की वजह से फॉल्ट, ट्रिपिंग दिक्कतें खड़ी कर रही है। दरअसल, अभी सीएचसी को जिस ट्रांसफॉर्मर से लाइट मिल रही है, उससे मेला मैदान स्थित पुलिस थाना और आसपास की कई कॉलोनियों काे भी सप्लाई की जाती है। जिसकी वजह से अस्पताल में पर्याप्त लोड में विद्युत आपूर्ति नहीं मिल पाती। ऐसे में मेड़ता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक पृथक से उच्च क्षमता का ट्रांसफॉर्मर लगाए जाने की दरकार है, जिससे बारिश सहित सामान्य दिनों में विद्युत कटौती की समस्या का सामना नहीं करना पड़े।

सोमवार को 2 घंटे बिजली रही गुल, ऑपरेशन, जांचें नहीं होने से रोगी परेशान

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में विद्युत गुल होते ही ऑपरेशन के साथ ही लैब में सभी तरह की जांचें और एक्स-रे भी नहीं हो पाता। जिससे मजबूरी में रोगियों को लाइट आने तक का इंतजार करना पड़ता है। अगर लंबे समय तक विद्युत गुल रहे तब तक एक्स-रे एवं जांच का समय भी बीत चुका होता है। जिसके बाद रोगी को अगले दिन फिर आना पड़ता है। विद्युत गुल होने से आपात स्थिति में जांच करवाने को लेकर रोगी कई बार निजी लैब में भी जाते हैं। सोमवार को लाइन में फॉल्ट से 2 घंटे तक सीएचसी की लाइट गुल रही। जिससे एक्स-रे सहित जांचों का कार्य प्रभावित हुआ।

जरूरी चीज बना शो-पीस : 30 केवी जनरेटर, वो भी 2 साल से बंद

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहले 2 जनरेटर थे। जिसमें से एक काफी समय पहले खराब हो गया वहीं दूसरा 30 केवी का जनरेटर भी 2 साल से केवल शो-पीस बनाकर रखा हुआ है। जो खराब होने से अभी किसी काम में नहीं आ रहा। क्रमोन्नत अस्पताल में ब्लड बैंक सहित आपातकालीन सेवाएं शुरू होगी तो ट्रांसफॉर्मर के अलावा भी एक बड़ा जनरेटर तो तैयार रखना पड़ेगा। क्योंकि पूरी तरह विद्युत तंत्र फेल होने के बाद इमरजेंसी कंडिशन में फिर कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा।

तैयारियों की ओर उठे कदम

उपजिला अस्पताल को लेकर तैयारियां करते हुए प्रभारी डॉ. रामेश्वर बेनीवाल ने रविवार को अस्पताल पहुंचे विधायक से पृथक से उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर लगवाने की मांग की। इससे पहले डिस्कॉम अधिशासी अभियंता व उपखंड अधिकारी को पत्र भी लिखा। जिसमें बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन 1000 से 1200 की ओपीडी रहती है। अस्पताल में रोजाना ऑपरेशन थिएटर, प्रसव कक्ष व भर्ती मरीजों के वार्ड में लाइट की आवश्यकता रहती है। विद्युत कटौती होने पर मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए मरीजों की सुविधा के मद्देनजर चिकित्सालय में 24 घंटे विद्युत सप्लाई के लिए 150 केवी का ट्रांसफॉर्मर लगाया जाए।