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अटक गया नए जेल भवन का प्रस्ताव, चिन्हित जमीन पर फंसा कानूनी पेंच

नए जेल भवन का प्रस्ताव अटक गया है। तकरीबन चार साल पहले चिन्हित 35 बीघा जमीन पर फिलहाल ना कोई निर्माण होगा ना ही बजट जारी हो सकता है।

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करीब चार साल पहले चिन्हित हुई थी 35 बीघा जमीन

अब भूमि परिवर्तन बिना भवन निर्माण कैसे होगा

एक्सक्लूसिव

नागौर. नए जेल भवन का प्रस्ताव अटक गया है। तकरीबन चार साल पहले चिन्हित 35 बीघा जमीन पर फिलहाल ना कोई निर्माण होगा ना ही बजट जारी हो सकता है। असल में तय जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य मकसद के पेटे है। ऐसे में भूमि परिवर्तन के बिना इस पर नया जेल भवन नहीं बन सकता।

सूत्रों के अनुसार नागौर जिला जेल भवन की जमीन के लिए लम्बे स्तर पर प्रयास किए गए। बंदियों की बढ़ती तादात व अन्य कारणों से छोटी पड़ती जिला जेल को विस्तार देने की कोशिश शुरू हुई। पहले तो वर्तमान जेल भवन का विस्तार करने का प्रस्ताव बनाया गया। हालांकि इस प्रस्ताव में एक नए बैरक से ज्यादा की गुंजाइश नहीं निकलती दिखी। इस पर तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ जितेंद्र कुमार सोनी को यह प्रस्ताव भेजा गया। बाद में नए मिनी सचिवालय के पास करीब 35 बीघा जमीन इसके लिए चिन्हित कर दी गई।

सूत्र बताते हैं कि जमीन तय होने के बाद इस पर निर्माण के लिए कोई खासी रुचि नहीं दिखाई दी गई। शुरुआत के दो-ढाई साल कोरोना में चले गए। यह जल्दबाजी इसलिए भी नहीं की गई कि जब मिनी सचिवालय समेत अन्य विभाग बनेंगे तब ही बजट स्वीकृत कराकर नया जेल भवन बना दिया जाएगा। इधर, वर्तमान जेल में कम पड़ती जगह को देखते हुए नए बैरक के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई और करीब आठ-दस महीने में यह तैयार भी हो गया।

इस बीच नए जेल भवन की प्रस्तावित जमीन पर पेंच फंस गया। वो इसलिए कि यह जमीन सरकारी दस्तावेज में किसी अन्य मकसद के लिए तय निकली। बस यहीं से जेल भवन निर्माण की तैयारियां शुरू होने से पहले ही ठहर गईं। अब भूमि उपयोग को कानूनी रूप से बदलने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए जेल प्रशासन ने सरकार को वस्तु स्थिति से अवगत कराया है।

बैरक बना पर...

बंदियों की भीड़ कम करने के लिए नागौर जेल में नया बैरक तो तैयार हो गया पर उसकी उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) के इंतजार में तीन महीने निकल गए। अब 12 जनवरी को इसमें बंदी शिफ्ट किए जाएंगे। पुलिस हाउसिंग बोर्ड की ओर से यूसी की रुकवाट तो थी ही अब स्टाफ बढ़ाने की प्रक्रिया भी जोरों पर हो रही है। बिना स्टाफ बढ़े जेल को संभालना संभवन नहीं हो सकेगा। दुमंजिला इस बैरक में अस्सी से सौ बंदी रह सकेंगे।

तय संख्या से ढाई गुने अधिक...

असल में नागौर जेल की यह परेशानी कोरोना काल से बढ़ी है। यहां वैसे तो सत्तर बंदी तक ही रह सकते हैं पर बढ़ते अपराध सहित अन्य कारणों से यहां बंदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस समय भी करीब पौने दो सौ से अधिक बंदी हैं। पिछले काफी समय से बंदियों की बढ़ती संख्या जेल के लिए मुश्किल बनी हुई थी। नागौर जेल केवल विचाराधीन बंदियों का है। महिला बंदी गृह में आठ-दस तो पुरुष बंदी गृह में यह संख्या हमेशा डेढ़ सौ पार रहती है। वैसे 69 पुरुष बंदी रखने की ही क्षमता है। अब देखना यह है कि नए बैरक में शिफ्ट बंदियों के बाद भी जेल के क्या हालात रहेंगे।

इनका कहना

नए जेल भवन की जमीन के संबंध में सरकार से पत्राचार चल रहा है। भूमि परिवर्तन के बाद ही आगे की प्रक्रिया चालू होगी। जेल में नए बैरक का शुभारंभ 12 जनवरी को वीसी के जरिए मुख्यमंत्री करेंगे।

-पृथ्वी सिंह कविया, उपाधीक्षक जेल, नागौर