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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा: ऐसा प्रांत जहां राम बसे हर नाम… दशकों से चली आ रही परम्परा

राजस्थान का मारवाड़ प्रांत ऐसा क्षेत्र है, जहां ओबीसी वर्ग से जुड़े हर किसी पुरुष के नाम के आगे-पीछे ‘राम’ जरूर जुड़ता है। यह परम्परा पुराने जमाने से ही चली आ रही है, जिसके पीछे का उद्देश्य यह है कि जब व्यक्ति को पुकारा जाए तो पुकारने वाला भी भगवान का नाम ले सके।

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Ram Mandir Inauguration: In Marwar Province Rajasthan Region, OBC Category Always Added 'Ram' In Names

मेड़ता सिटी। राजस्थान का मारवाड़ प्रांत ऐसा क्षेत्र है, जहां ओबीसी वर्ग से जुड़े हर किसी पुरुष के नाम के आगे-पीछे ‘राम’ जरूर जुड़ता है। यह परम्परा पुराने जमाने से ही चली आ रही है, जिसके पीछे का उद्देश्य यह है कि जब व्यक्ति को पुकारा जाए तो पुकारने वाला भी भगवान का नाम ले सके। इस प्रांत के जाट समाज के अलावा ओबीसी वर्ग के पुरुषों में अधिकांश के नाम के आगे-पीछे ‘राम’ शब्द जुड़ा हुआ होता है, जो यहां की विशेषता भी कह सकते हैं और प्रभु भक्ति का संदेश भी।

अयोध्या में बने नए मंदिर में 22 जनवरी को रामलला विराजेंगे। जिले सहित पूरे मारवाड़ में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां हो रही हैं और राम भक्तों में उत्साह भी है। उत्साह भी इसलिए, क्योंकि मारवाड़ में हिन्दू वर्ग के लोगों के घट-घट में राम बसते हैं और उठते-बैठते, सोते-जागते, काम करते समय राम का नाम लिया जाता है। हमारे बुजुर्गों ने तो राम नाम को बार-बार लेने के लिए बच्चों के नामकरण करते समय भी इस बात का ध्यान रखा कि नाम के आगे या पीछे राम नाम आ जाए। हालांकि आज की युवा पीढ़ी के नाम थोड़े आधुनिक हो गए हैं, जिनमें राम नाम कम मिलता है।

मारवाड़ वो प्रांत है, जहां भक्त शिरोमणि मीरा अटूट भक्ति के चलते श्रीकृष्ण में समा गई थी। तो ऐसे भक्तिशाली प्रांत के लोग भी भक्ति में किसी प्रकार से पीछे नहीं है। यहां दशकों से एक परम्परा चली आ रही है कि बड़े-बुजुर्ग घर में पुत्र के जन्म पर नामकरण के दौरान उसके नाम के आगे-पीछे राम शब्द लगाते हैं। यह मूलत: ओबीसी वर्ग के सर्वाधिक जाट समाज, प्रजापत, जांगिड़, दर्जी जैसे प्रमुख समाज में आते हैं। जिनके नाम के पीछे राम लगता है। इसी तरह से ब्राह्मण, वैश्य एवं एससी-एसटी वर्ग में पुरुषों के नाम के आगे-पीछे भी ‘राम’ शब्द जुड़ता है।

ऐसे समझिए, क्या है इस पुराने ‘ट्रेंड’ की पीछे की वजह
बड़े-बुजुर्गों का मानना है कि राजा अजामील जब एक राम का नाम लेकर के भी हरि शरण को पा गए तो श्रद्धा से नाम लेने पर भवबंधन से छूट जाना स्वभाविक है। ऐसा जानकर के पूर्वजों ने अपने संतानों के नाम से पहले या पीछे राम शब्द आए, इस तरह का नामकरण करने को प्राथमिकता दी। ताकि पुत्र, पौत्र को पुकारते वक्त राम का नाम लिया जा सके।

महिलाओं के नाम के आगे भी लगता है राम- नाम
ऐसा नहीं है कि पुरुषों के नाम के आगे-पीछे ही भगवान राम का नाम जुड़ा हो। पुराने जमाने की जो वृद्ध महिलाएं है, उनके नाम के आगे भी प्रभुश्री राम का नाम जुड़ता है। जैसे- रामप्यारी, रामकन्या, रामज्योत, रामकली, रामप्रिया। बुजुर्गों की माने तो वास्तव में नामकरण के दौरान चाहे महिला हो या पुरुष, भगवान का नाम जुड़ जाए तो उनका नाम पुकारकर भी हरि सुमिरन किया जा सकता है।

ऐसे कई परिवार, जिनके सभी सदस्यों के नाम के आगे-पीछे जुड़ता है राम
एक खासियत यह भी है कि मारवाड़ के साथ हिंदीभाषी राज्यों में ऐसे हजारों परिवार होंगे, जिनके सभी पुरुष सदस्यों के नाम के आगे या पीछे राम का नाम जुड़ता है। उदारहण के रूप में गांव सोनेली के चार भाई मुन्नीराम, सीताराम, चेनाराम, घीगाराम शर्मा के नाम के पीछे राम शब्द जुड़ता है।