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Nagaur patrika…रामदेव पशु मेला अब चढऩे लगा परवान, सैलानियों ने देखा मेला…VIDEO

नागौर. रामदेव पशु मेला अब परवान चढऩे लगा है। मेला में आए हुए पशुओं की संख्या का आंकड़ा साढ़े तीन हजार पार पहुंच गया है। आए हुए पशुओं में सर्वाधिक संख्या ऊंटों की रही है। अब तक करीब देा हजार ऊंट मेला मैदान में आ चुके हैं। जोधपुर रोड की ओर से मैला मैदान के […]

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नागौर. रामदेव पशु मेला अब परवान चढऩे लगा है। मेला में आए हुए पशुओं की संख्या का आंकड़ा साढ़े तीन हजार पार पहुंच गया है। आए हुए पशुओं में सर्वाधिक संख्या ऊंटों की रही है। अब तक करीब देा हजार ऊंट मेला मैदान में आ चुके हैं। जोधपुर रोड की ओर से मैला मैदान के हिस्से में चारो ओर केवल ऊंट ही नजर आ रहे हैं। ऊंटों के बिचरण करते विदेशी सैलानियों से मेला का रंग बदला नजर आया।
रामदेव पशु मेला में अब गोवंश-11339, भैंस वंश 61, ऊंट 1933 एवं 215 घोड़े आ चुके हैं। पशुओं की कुल संख्या 3548 तक पहुंच गई है। मेला प्रभारी एवं संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा ने बताया कि पशुओं की आवक अभी जारी है। आंकड़े में और बढ़ोत्तरी होगी।
ऊंटों एवं गोवंशों से भरने लगा मैदान
रामदेव पशु मेला गोवंशों एवं ऊंटों से भरने लगा है। मानासर से जोधपुर रोड की ओर जाने वाले रास्ते से मेला की ओर बढऩे पर गोवंशों का पूरा झुण्ड नजर आने लगता है है। इसी तरह जोधपुर रोड से बाईपास से करीब पचास मीटर की दूरी तक मैदान में चारों ओर केवल ऊंट ही नजर आते हैं। मेले के अंदर प्रवेश करने पर ऊंटो के बोलने की आवाजों के साथ ही पालकों की ओर से उनको नियंत्रित करने सरीखे दृश्य नजर आते हैं। बीकानेर से आए ऊंट पालक गोपाराम से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि वह मेले पिछले करी सात सालों से बराबर आते रहे हैं। उनका प्रयास रहता है िक रामदेव मेला में उनकी उपिस्थित जरूर हो। हर बार मुनाफा लेकर ही जाते हैं। इस बार भी यही मंशा है। इनका कहना है िक यदि सरकार पालकों के पशुओं के परिवहन की आवश्यकतानुसार समुचित व्यवस्था कर दे तो फिर मेले में हालात और भी ज्यादा बेहतर हो सकते हैं। पशुपालक भूरालाल का कहना ह ैकि समय के साथ ही मेले में आने वाले पालकों के लिए भी प्रशासन को सुिवधाओं में बढ़ोत्तरी करनी चािहए। जमीन तो िमल जाती है, लेिकन सुिवधाओं को वर्तमान समय के हिसाब से बढ़ोत्तरी करनी चाहिए। मेले में हालांकि प्रशासन की ओर से व्यवस्थाएं की गई है, लेकिन यह पूरी तरह से नाकाफी है। ऊंट पालक राजूराम से बातचीत हुई तो इनका कहना है कि आज से 11 साल पहले पशु मेले में पूरा मैदान ही पशुओं से भरा रहता था। अब ऐसा नहीं रहा। परिवहन व्यवस्था के अभाव एवं तीन वर्ष से कम के बैलोंकी बिक्री पर रोक के अलावा अन्य कारण रहे हैं। इनमें पालक एवं पशुओं की मेला मैदान स्थल पर ही उच्च स्तर पर अत्याधुनिक चिकित्सा व्यवस्था होनी चाहिए।
विदेशी सैलानियों ने खरीदा सामान
रामदेव पशु मेला इन दिनों विदेशी सैलानियों से गुलजार नजर आने लगा है। सुबह करीब दस बजे शुरू हुई ऊंट एवं अश्व वंश की हुई प्रतियोगिता में विदेशी सैलानियों की भीड़ लगी रही। ऊंटों एवं घोड़ों की तस्वीरउतारते नजर आए। इस दौरान प्रथम व द्वितीय आने वाले पालकों के साथ उनके पशुओं सहित खुद की फोटो भी खिंचवाते रहे। प्रतियोगिता देखने के साथ ही सैलानी दुकानों पर भी पहुंचे। दुकानों पर पशुओं के सजावटी सामानों को देखा, इसके बाद मैदान में कृषि महाविद्यालय की ओर से लगी स्टॉल पर पहुंचे। यहां पर बने पैकेडबंद खाने की सामाग्री भी खरीदी। इसके साथ ही मेला में ऊंट सवारी का भी आनन्द उठाया।