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सनातन संस्कृति ही भारत की शाश्वत पहचान

जायल. सनातन शाश्वत है और इसका अर्थ हिंदुत्व व राष्ट्रीयता है। सभ्यताएं बदलती रहती हैं, लेकिन सनातन संस्कृति कभी नहीं बदली।

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गोष्ठी को संबोधित करते वक्ता।

-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रमुख जन गोष्ठी

जायल. सनातन शाश्वत है और इसका अर्थ हिंदुत्व व राष्ट्रीयता है। सभ्यताएं बदलती रहती हैं, लेकिन सनातन संस्कृति कभी नहीं बदली। यह बात बुधवार को माहेश्वरी भवन में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रमुख जन गोष्ठी में धर्मजागरण प्रांत प्रमुख देवेन्द्र प्रकाश ने कही।

उन्होंने कहा कि भारत हमेशा श्रेष्ठ राष्ट्र रहा है और इसे निरंतर आक्रमणों का सामना करना पड़ा। पूर्व में हूण, कुषाण और शकों के आक्रमणों को भारत ने न केवल पराजित किया, बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति में समाहित किया। इसके विपरीत, इस्लामी आक्रमण और अंग्रेजों के शासन ने समाज में कई कुरीतियों का प्रवेश कराया और सनातन तथा राष्ट्र की अवनति का कारण बने।

उन्होंने जातिवाद और अंग्रेजी शिक्षा के प्रभाव पर चिंता जताते हुए कहा कि आज जातिवाद को समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है। मैकाले के शिक्षा सुधारों ने संस्कार, संस्कृति और गुरुकुलों को प्रभावित किया।

प्रांत प्रमुख ने कहा कि संघ के प्रस्तावित पंच परिवर्तन कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य, सामाजिक समरसता, स्व की अवधारणा और पर्यावरण संरक्षण को अपनाकर ही समाज और राष्ट्र के उत्थान की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।

गोष्ठी में जायल और सांजू खंड के लोगों भी विचार साझा किए। गोष्ठी का संचालन जिला सह-कार्यवाह रूपाराम लील ने किया। नागौर जिला संघ चालक मुकेश भाटी ने आभार व्यक्त किया।