
See in the video... Why is the administration saving the person who cut the green tree?
नागौर. शहर के पुराना हाउसिंग बोर्ड स्थित पार्क में बिना अनुमति के काटे गए हरे पेड़ों के मामले को पद्मश्री हिम्मताराम भांभू ने गंभीर रूख अख्तियार करते हुए मुख्य सचिव को पत्र प्रेषित कर कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया है। पद्मश्री भांभू ने कहा कि जहां हिमांचल प्रदेश में हरे पेड़ काटने पर छह माह की जेल के साथ एक लाख तक का जुर्माना हेाता है, वहीं राजस्थान में लगातार हरे पेड़ों को काटे जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं करना पर्यावरण के लिए घातक होने के साथ ही कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठता है। इधर नगरपरिषद की ओर से पार्क में हरे पेड़ कटने के बाद संंबंधित को नोटिस दी गई तो जवाब मिला कि बिजली के तारों से पेड़ अड़ रहे थे। इसलिए छंगाई कर दी गई। जबकि मौके की वस्तुस्थिति देखने से स्पष्ट है कि हरे पेड़ तने से इस तरह काटे गए हैं कि दोबारा उसमें शाखाओं व पत्तियों का अंकुरण ही न हो सके। विशेषज्ञों का कहना है हरे पेड़ों को बिना अनुमति काटना अपराध है। इस संबंध में जिम्मेदारों को जांच कर निश्चित रूप से कार्रवाई करनी चाहिए।
शहर के ताऊसर रोड स्थित पुराना हाउसिंग बोर्ड स्थित कॉलोनी के पार्क में हरे पेड़ काटने का मामला अब गहराता जा रहा है। अब तक जिम्मेदारों की ओर से हरा पेड़ काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से जहां प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है, वहीं पद्मश्री हिम्मताराम भांभू ने प्रकरण पर कड़ी कार्रवाई किए जाने का आग्रह करते हुए प्रमुख शासन सचिव को बताया कि राज्य वृक्ष खेजड़ी, नीम, शीशम आदि पेड़ों की कटाई चोरी छिपे हो रही है । जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। शहर के इर्द गिर्द कई तरह की कॉलोनियाँ काटने पर उन पेड़ों को काटा जा रहा है व जिले भर में चोरी छिपे राज्य वृक्ष खेजड़ी के पेड़ काट करके ट्रकों में भरकर के चूना व ईंट भट्टों पर ले जाया जा रहा है। जिसको रोकने में पुलिस व प्रशासन नाकाम रहा है।
नोटिस के जवाब में नहीं मिला अनुमति पत्र
नगरपरिषद की ओर से पार्क में हरे पेड़ काटे जाने के संदर्भ में एसआई को भेजकर जांच कराई गई तो जवाब दिया गया कि क्षेत्रवासियों की मंशा यही थी। इसके साथ ही बिजली के तारों से पेड़ के अडऩे का हवाला दिया गया। जबकि पार्क में लगा नीम एवं आंवला आदि का पेड़ सडक़ से दूर है। मौके की पड़ताल के दौरान ऐसी कोई वस्तुस्थिति नहीं पाई गई। इसके साथ ही यदि ऐसी स्थिति थी तो फिर हरा पेड़ काटे जाने की अनुमति पत्र प्राप्त करना चाहिए था। जबकि संबंधित के पास हरे पेड़ काटने का कोई अनुमति पत्र नहीं पाया गया। इसमें विशेष बात यह रही कि खुद नगरपरिषद को हरा पेड़ा काटे जाने के घंटों बाद भी सूचना नहीं कि पार्क में हरे पेड़ काट दिए गए। इस संबंध में विधि विशेषज्ञों से बातचीत की गई तो बताया गया कि हरा पेड़ा काटने से पूर्व तथ्यात्मक कारण बताने के साथ ही लिखित में प्रार्थना पत्र देना पड़ता है। इसके बाद मौके का तकमीना बनता है। तकमीना बनने के बाद फिर से इसका भौतिक सत्यापन किया जाता है। इसके बाद सक्षम अधिकारी की ओर से स्वीकृति दिए जाने के साथ ही तथ्यात्मक कारण उल्लिखित किया जाता है। इतनी प्रक्रिया के बाद ही प्रशासनिक देखरेख में पेड़ काटने की अनुमति मिलती है, लेकिन यहां पर इन प्रक्रियाओं में से एक का भी पालन नहीं किया गया। अब ऐसे में सवाल उठता है कि पेड़ लगाने के लिए राज्य सरकार विभिन्न कार्यक्रमों में जहां आमजन को प्रोत्साहित करने की घोषणाएं करती है, वहीं दूसरी ओर से जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी होने के बाद भी हरे पेड़ काट दिए जाते हैं, और कोई कार्रवाई तक नहीं होती है। इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा।
इनका कहना है...
हरा पेड़ काटने के संदर्भ में एसआई से जांच कराई गई थी। संबंधित की ओर से जवाब मिला है कि बिजली के तारों से पेड़ अड़ रहे थे। इसलिए छंगाई कर दी गई है। इसकी फिर से जांच कर ली जाएगी।
देवीलाल बोचल्या, आयुक्त नगरपरिषद नागौर
नागौर. ताऊसर रोड स्थित पुराना हाउसिं बोर्ड के इसी पार्क में काटे गए थे हरे पेड़
Published on:
16 Mar 2023 01:37 pm
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