
मादक पदार्थ हो या फिर अन्य कोई बरामद माल, कार्रवाई के बाद पुलिस इन्हें अपने यहां रख तो लेती है, लेकिन मामले का निस्तारण करने में लगने वाला समय अब पुलिस को तकलीफ देने लगा है। , मादक पदार्थ हो या फिर अन्य कोई बरामद माल, कार्रवाई के बाद पुलिस इन्हें अपने यहां रख तो लेती है, लेकिन मामले का निस्तारण करने में लगने वाला समय अब पुलिस को तकलीफ देने लगा है। , मादक पदार्थ हो या फिर अन्य कोई बरामद माल, कार्रवाई के बाद पुलिस इन्हें अपने यहां रख तो लेती है, लेकिन मामले का निस्तारण करने में लगने वाला समय अब पुलिस को तकलीफ देने लगा है।
केस-1
जसवंतगढ़ थाने में चुनाव के दौरान पकड़ी गई शराब काफी दिनों तक खुले में पड़ी रही। तिरपाल से ढक तो दी गई, लेकिन उस पर निगरानी तक के लिए पुलिसकर्मी अलग मेहनत करते दिखे।
केस-2
हाल ही में चुनाव से पहले बिस्कुट की आड़ में करीब पांच करोड़ का डोडा-पोस्त पकड़ा गया। अब माल खाना तो पहले से ही ठसाठस है था, सो सिपाहियों के रहने वाले हॉल में इसे रखवा दिया गया है।
केस-3
करीब तीन महीने अवैध शराब से भरा ट्रक पकड़ा गया था। थाने में इसे रखने की जगह नहीं थी, अब इसे अन्यत्र रखवाने की व्यवस्था की गई है।
नागौर. मादक पदार्थ हो या फिर अन्य कोई बरामद माल, कार्रवाई के बाद पुलिस इन्हें अपने यहां रख तो लेती है, लेकिन मामले का निस्तारण करने में लगने वाला समय अब पुलिस को तकलीफ देने लगा है। नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिलेभर के अधिकांश थानों का हाल यह है कि मालखाने में जगह नहीं बची है, तो थाने तक में वाहन हो या फिर अन्य कोई जब्त माल, रखना मुश्किल हो रहा है। माल चोरी का हो या डकैती का, पुलिस के पास इसे सहेजने तक के साधन-संसाधन खत्म हो गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि कई थानों में तो जब्त माल को रखे सालों-साल हो गए। मामले का निस्तारण हो तब माल छूटे ना । कोतवाली ही नहीं कमोबेश अधिकतर थानों का यही हाल है। मालखाने में चोरी का बरामद माल हो या फिर अन्य अपराध का, थाना पुलिस इन्हें जमा करते-करते उकता सी गई है। कई थानों में तो यह माल अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर रखा जा रहा है। यही नहीं चोरी का बरामद माल बाइक हो या अन्य, उसे तक छुड़ाने कोई नहीं आ रहा। लिहाजा पुलिस पर इसकी जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है। जसवंतगढ़ थाने का ही मामला देखिए, चुनाव के दौरान करीब चार ट्रक शराब यहां पकड़ी गई, अब इन्हें रखने की मुश्किल आन पड़ी। अब करते भी तो क्या लिहाजा खुले में ही इनको रखवा दिया गया, ऊपर तिरपाल ढक दिया गया। बताते हैं कि मामले का निस्तारण होने के बाद काफी कुछ माल यहां से ले जाया गया। अब पुलिस को चैन मिला है।
सूत्र बताते हैं कि असल में विभिन्न थानों में चोरी की ही बरामद बाइक की संख्या करीब पांच सौ से अधिक है। बावजूद इसके कोई इनको लेने नहीं आ रहा। ऐसे मामलों में बाइक का मालिक कुछ समय बाद इंश्योरेंस कम्पनी से बाइक की कीमत उठा लेता है। तो आखिर वो इसे लेने आएगा भी क्यों? और तो और पुलिस भी ऐसे वाहनों के लिए ना तो वाहन मालिकों को लिख रही है ना ही इंश्योरेंस कम्पनियों को। ऐसी केवल बाइक ही नहीं कार/जीप समेत कुछ अन्य गाडिय़ां भी हैं जो पड़े-पड़े कबाड़ बनती जा रही हैं।
जुर्माना माफ फिर भी नहीं ले जा रहे वाहन
सूत्रों के अनुसार लोक अदालत ने पिछले साल एक फैसले में कहा था कि अगस्त-2022 से पहले के ट्रेफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी वाहन-लाइसेंस बिना जुर्माने के देने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश को हुए एक साल होने को आया, लेकिन दस फीसदी लोग भी अपना वाहन उठाने नहीं आए।नागौर के ट्रेफिक थाने में वाहनों का अंबार यह बताने के लिए काफी है बिना चोरी के केवल जुर्माने से दण्डित हैं, उन सभी को राहत मिल चुकी है, इसके बाद भी वाहन कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं। ट्रेफिक सीओ रविंद्र बोथरा के निर्देश पर हैड कांस्टेबल शिवदेवाराम सहित टीम ने इसके लिए मशक्कत भी की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
नहीं पता लगा थाने से जब्त माल की चोरी का
सूत्रों का कहना है कि करीब छह माह पूर्व पांचौड़ी थाने के भीतर खड़े कंटेनर के ताले तोड़कर चोर दो कट्टों में भरा 27 किलो डोडा-पोस्त ले गए। चोर दो नए ताले चाबी के साथ लाए थे, ताकि वारदात के बाद वो इन्हें कंटनेर में लगा जाएं और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगे। करीब पौने पांच साल पहले कोतवाली थाने के मालखाने में रखा करीब एक किंवटल से अधिक डोडा-पोस्त गायब हुआ था, जिसका अब तक पता नहीं चल पाया है। कोतवाली थाने में करीब पांच साल पहले कोतवाली थाने के मालखाने में रखा करीब एक क्विंटल से अधिक डोडा-पोस्त गायब हो गया। डोडा-पोस्त से भरे चोरी के चार बोरों का अब तक खुलासा नहीं हो सका है। इस मामले में तीन कांस्टेबल निलम्बित किए गए थे।
मुश्किलें कई और भी
सूत्र बताते हैं कि बरामद मादक पदार्थ व गाड़ी भले ही पुलिस की कस्टडी में हो, लेकिन इस मामले का निस्तारण संबंधित विभाग ही करता है। यही हाल शराब सहित अन्य वस्तुओं का है। पूर्व एसपी राममूर्ति जोशी ने कबाड़ बनते वाहनों को नीलाम करने की कवायद भी शुरू की थी। असल में जब्त/बरामद माल के मामले निस्तारण अथवा चोरी के माल को संबंधित तक पहुंचने के नियम और कड़े होने चाहिएं। वैसे पुलिस भी वाहनों के लिहाज से एक बड़ी जगह की तलाश कर रही है।
इनका कहना
कानूनी निस्तारण के बाद ही इस तरह का माल थानों से हल्का हो सकता है। कुछ थानों में ही यह दिक्कत ज्यादा है, बाकी तो सब ठीक है।
-नारायण टोगस, एसपी नागौर
Published on:
08 Jan 2024 09:25 pm
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