जिला मुख्यालय स्थित राजकीय जेएलएन अस्पताल में ट्रोमा सेन्टर के लिए बना ऑक्सीजन प्लांट स्टाफ
नागौर।जिला मुख्यालय स्थित राजकीय जेएलएन अस्पताल में ट्रोमा सेन्टर के लिए बना ऑक्सीजन प्लांट स्टाफ की कमी के कारण आज भी धूल फांक रहा है। एनआरएचएम द्वारा जब बिल्डिंग बनवाई गई थी उसी वक्त गम्भीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन प्लांट भी लगवाया था। हालत यह है कि अस्पताल में स्टाफ की कमी के कारण प्लांट को शुरू नहीं किया जा रहा है। जबकि अधिकारियों का कहना है कि प्लांट उपयोग के लिए तैयार है बस इंतजार है स्टाफ का जैसे ही स्टाफ बढ़ेगा प्लांट शुरू कर दिया जाएगा।
अभी जोधपुर से आती है ऑक्सीजन
अस्पताल के पास स्वयं का ऑक्सीजन प्लांट होने के बावजूद जोधपुर से ऑक्सीजन मंगवाया जा रहा है। एेसे में कभी ऑक्सीजन की कमी पड जाए तो एक साथ ऑक्सीजन लाना मुश्किल हो जाएगा।
साथ ही मरीज के लिए भी जान का खतरा बन सकता है। कई बार अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। ऐसे में मरीज को बचाने को लेकर डॉक्टर हाथ खडे़ कर देते हैं। इस स्थिति में मरीज के परिजनों को किसी निजी अस्पताल से ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी पड़ती है या फिर मरीज को गम्भीर नतीजा भुगतना पड़ता है।
ट्रोमा सेन्टर के लिए लगा है प्लांट
अस्पताल में लगे 5 सौ लीटर क्षमता वाले प्लांट को सेन्ट्रल ऑक्सीजन सप्लाई लाइन से सिर्फ ट्रोमा सेन्टर वार्ड को जोड़ा गया है। यानि आपातकालीन मरीजों को इसका लाभ मिल सकेगा। आलम यह है कि अभी तक इस प्लांट को शुरू नहीं किया गया। जबकि इस प्लांट पर टेस्टिंग की तिथि 20 मार्च वर्ष 2011 दर्शाई हुई है। नए अस्पताल की बिल्डिंग का उद्घाटन अक्टूबर 2013 अक्टूबर में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था।
इतना ऑक्सीजन आती है काम
अस्पताल में एक महीने में करीब 30 बडे़ व 75 छोटे सिलैण्डर ऑक्सीजन काम में आ जाते हैं। अगर इन सिलैण्डरों के भरने के लिए खर्च की जाने वाली राशि की बात करें तो छोटे सिलैण्डर के लिए 200 व बडे सिलैण्डर के लिए 320 रुपए लगते हैं।
इनका कहना है..
अभी हमारे पास स्टाफ की कमी है। इस कारण अस्पताल में लगा ऑक्सीजन प्लांट शुरू नहीं किया जा रहा है। जैसे ही स्टाफ की बढ़ोतरी होगी। प्लांट को उपयोग में लेना शुरू कर देंगे।
डॉ. अपूर्व कौशिक, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर