राम सुग्रीव की मित्रता
शबरी से मिलने के बाद राम सुग्रीव को खोजने, हनुमानजी के साधु वेश में राम-लक्ष्मण को मिलने, हनुमान के असली वेश में भावविभोर होकर राम के चरणों में नतमस्तक होने का भावपूर्ण मंचन किया गया। राम-सुग्रीव मिलन तथा मित्रता होने के साथ ही राम को सुग्रीव के सहायता का वचन देने,बाली-सुग्रीव युद्ध और बाली की मृत्यु का मंचन हुआ। इसके बाद हनुमान के सीता की खोज में लंका की ओर कूच करने का मंचन किया गया।