16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कहीं नशा तो कहीं कुंठा करा रही है अपनों का कत्ल

नागौर. तकरीबन तीन महीने पहले लाडनूं में एक पिता ने तीन बच्चों को फांसी लगाई और फरार हो गया। बुधवार को नागौर के भदाणा गांव में एक जने ने अपने मां-बाप की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी और फरार होने के लिए बाइक से निकल भागा, आगे एक संदिग्ध हादसे में उसकी जान चली गई।

2 min read
Google source verification
MURDER : दादागिरी का विरोध करने पर युवक की हत्या

MURDER : दादागिरी का विरोध करने पर युवक की हत्या

नागौर. तकरीबन तीन महीने पहले लाडनूं में एक पिता ने तीन बच्चों को फांसी लगाई और फरार हो गया। बुधवार को नागौर के भदाणा गांव में एक जने ने अपने मां-बाप की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी और फरार होने के लिए बाइक से निकल भागा, आगे एक संदिग्ध हादसे में उसकी जान चली गई। दोनों ही मामलों में आर्थिक तंगी के साथ आरोपियों का नशेड़ी होना था। अपनों का ही कत्ल कर देने के मामले बढ़़ रहे हैं। कहीं कुंठा तो कहीं खतरा, कहीं इंसल्ट होने का डर तो कहीं अनावश्यक शक जैसी वजह भी इनमें सामने आ रही है। कहीं राज खुलने का डर तो कहीं कर्ज चुकाने का तनाव भी अपनों को मारने पर विवश कर रहा है।लाडनूं के निम्बी जोधा में गत 29 नवंबर को नाथाराम ने अपने तीन बच्चों की फंदा लगाकर हत्या कर दी थी। अभी दो-तीन दिन पहले ही वह पुलिस की पकड़ में आया। वह भी आदतन शराबी था, यह भी सामने आया कि नशे में उसने अपने बच्चों का कत्ल किया। बुधवार को भदाणा में मां-बाप का कातिल हड़मानराम भी अमल का नशर करता था। मनोचिकित्सकों की मानें तो नशे की प्रवृत्ति के चलते ऐसे मामले ज्यादा होते हैं। अत्यधिक नशे में अपराध हो जाता है। अमूमन यह भी पाया गया है कि षडय़त्र पूर्वक कम बल्कि अचानक मन:स्थिति बदलने से भी कत्ल करने का जोखिम उठाया जाता है। आगे का भला-बुरा सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है। बताया जाता है नशाखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति की रोकथाम के लिए सरकारी अथवा सामाजिक कवायद सफल नहीं हो रही। जेल से लेकर स्कूल-कॉलेज तक में नशे के विरोध में अलख तो जगाई जाती है पर उसका असर नहीं हो रहा। यह भी सच है कि नशाखोरी में किया गया हर अपराध पूरी तरह से मानसिकता से जुड़ा रहता है। कई बार इस अपराध से बचने के लिए ढाल के रूप में मानसिक रोग का भी इस्तेमाल होता है। बावजूद इसके मनोचिकित्सक मानते हैं कि नशे से अपराध बढ़ रहा है। इसमें खासबात यह भी अत्यधिक नशे में व्यक्ति अपने की जान लेने से भी पीछे नहीं हटता। नशा उकसाता भी है तो कभी हीनभावना के चलते खुद की जान भी ले ली जाती है।

साजिश में भी नशा हथियार

कत्ल की अनेक वारदात के खुलासे में भी यह बात सामने आई है। कई बार साजिश रचकर पहले आरोपी शराब अथवा कोई नशा करता है, फिर कत्ल कर दिया जाता है। कई वारदात में किसी को नशा देकर कत्ल करने की बात सामने आती है। असल में कत्ल के पीछे नशे की वजह को पुलिस अपनी पड़ताल में भी प्रमुखता से रखती है। एक अनुमान के मुताबिक करीब तीस-चालीस फीसदी कत्ल में नशा कहीं न कहीं ‘शामिल’ होता है।

कभी दोस्त तो कभी अपना

मनोचिकित्सक डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि ऐसे मामले भी बहुत हैं कि जब शराब पीते समय दोस्त झगड़ पड़े, मर्डर हो गया। अनावश्यक शक, जिसकी बुनियाद ही न हो पर उसमें पूरा विश्वास हो अथवा मेरे खिलाफ है अथवा कोई षडय़ंत्र करने जैसी मिथक सोच भी किसी नशेड़ी को कातिल बना देती है। मनोचिकित्सक डॉ.शंकर लाल का कहना है कि नशाखोर आदमी सुसाइड करता है या फिर अपनों की जान भी ले लेता है। ऐसे में पैसा जुटाने के लिए वो मां-बाप को भी मार सकता है या चोरी-लूट भी कर सकता है। अब धैर्य की कमी हो गई है और भावावेश के चलते भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। नशे में पत्नी की अथवा किसी परिजन की हत्या कई बार मामूली कहासुनी पर ही कर देते हैं।