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VIDEO…प्रदेश के इस जिले में ऐसा मंदिर जहां विराजते हैं भगवान श्रीकृष्ण एवं देवाधिदेव महादेव

Nagaur. शहर से भी पुराने इतिहास को समेटे बंशीवाला मंदिर के मुख्य गेट का बरसों के बाद होगा कायाकल्प

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Such a temple in this district of the state where Lord Krishna and Devadhidev Mahadev reside

वर्तमान गेट की जगह अब इसे मार्बल से बनाने के साथ ही इसकी दीवार पर जय-विजय की बनेगी मूर्ति
नागौर. शहर के नगसेठ बंशीवाला मंदिर में तोरणद्वार के निकट के मुख्य गेट का जीर्णोद्धार किया जाएगा। इससे मंदिर के स्वरूप में न केवल निखार आएगा, बल्कि यह प्राचीन पारंपरिक शैली की शानदार निर्माण कला के रूप में इसका रंग सामने आएगा। वर्तमान गेट फिलहाल सामान्य है, लेकिन अब इसको प्राचीन प्रारंभिक शैली में मार्बल से निर्मित कराया जाएगा। ताकि मंदिर में आने वाले प्राचीन स्थापत्य शैली से न केवल अवगत हो सकें, बल्कि मंदिर की पारंपरिक महत्ता से भी परिचित हो सकें। बंशीवाला मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेश राठी का कहना है कि यह गेट काफी पुराना हो चुका था। कमजोर भी हो गया था। अब इसकी जगह नया गेट तो बनाया जाएगा,लेकिन इसकी महत्ता का भी निर्माण के दौरान पूरा ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि गेट की मुख्य दीवार पर जय व विजय की मूर्ति बनाई जाएगी। इसके बाद इसके पीछे हाथी की मूर्ति दीवार पर ही उकेरी जाएगी। यह पूरा निर्माण प्राचीन पारंपरिक स्थापत्य शैली के साथ भित्तीय शैली में भी होगा। ताकि इसकी महत्ता अखंड रूप से बनी रहे। इसके साथ ही इसके निकट के हाल को परस्पर मिला दिया जाएगा। यहां पर तुलछाजी का थान के निकट की ऊपर चढऩे वाली सीढिय़ों को हॉल में शामिल करने के साथ ही डोम वाला चौक को और ज्यादा चौड़ा किया जाएगा। ताकि लोग इसमें व्यवस्थित रूप से आ सकें। गर्भगृह में जाने वाले रास्ते के गेट को भी बड़ा किया जाएगा। अध्यक्ष राठी की माने तो इस प्रकार जीर्णाद्धार का कार्य लगभग पचीस बरस के बाद किया जा रहा है। इस निर्माण से मंदिर का स्वरूप और ज्यादा निखर कर सामने आएगा।


शहरवासियों के आस्था का केन्द्र है बंशीवाला
नगरसेठ बंशीवाला मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। यहां की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक बनावट के साथ निर्माण की तमाम विशेषताओं को समाहित करते हुए यह मंदिर लोगों को आस्था के साथ जोड़ते हुए पारंपरिक गौरव का भी एहसास कराता है। मंदिर परिसर में विराजित नगरसेठ की प्रतिमा भी काफी प्राचीन बताई जाती है। मंदिर परिसर में नीचे की ओर स्थित भगवान महादेव पातालेश्वर के रूप में शिवलिंग रूप में विराजित हैं। यह शिवलिंग मानव निर्मित नहीं, बल्कि स्वंयभू बताया जाता है। कहते हैं कि औरंगजेब के सिपाहसलार मंदिर को तोडऩे की नीयत से पहुंचे तो थे, लेकिन वह कुछ बिगाड़ नहीं सके इसका। महाशिवरात्रि के साथ ही सावन मास में पातालेश्वर महादेव को जलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक करने की होड़ लगी रहती है। भगवान शिव के प्रत्येक मुख्य पर्व पर यहां श्रद्धालुओं का मेला उमड़ता है।