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भूख, प्यास का दमन करने के साथ 21 दिन का उपवास पूरा

locationनागौरPublished: Sep 24, 2021 10:22:27 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur. सिंघिआज होगा उपवास का पारणा, अब तक कोठारी 51, 31, 27, 25, 22, 21, 17, 15, 12, 19, 9 व आठ दिनों के उपवास को कर चुके हैंयों की पोल निवासी पुखराज कोठारी ने महावीर के अपरिग्रह सिद्धांतों को अपनाते हुए किया उपवास

Suppression of hunger, thirst completes 21 days fast

Pukhraj Kothari fasted for 21 days

नागौर. सिंघियों की पोल निवासी पुखराज कोठारी ने 21 दिन का उपवास किया। इसका पारणा 25 सितंबर को होगा। लगातार 21 दिनों तक कठिन तप करने वाले पुखराज कोठारी इतने दिनों तक दिन में महज एक या दो बार केवल गर्म पानी का घूंट ले लेते थे। 21 दिन का उपवास शुक्रवार को पूरा हुआ। यह उपवास महासती नानुकंवर की शिष्या महासती पुष्पावती, सुलभाश्रीजी, निर्मलाश्रीजी एवं साधनाश्रीजी की प्रेरणा व निर्देशन में पूरा किया गया। 76 वर्ष की उम्र में इस कठिन तप को धारण करने वाले पुखराज कोठारी इसके पूर्व भी कई बार ऐसे ही कठिन-दुष्कर व असाध्यों की श्रेणी में माने-जाने वाले उपवासों को धारण कर चुके हैं। इनमें कोठारी 51, 31, 27, 25, 22, 21, 17, 15, 12, 19, 9 व आठ दिनों के उपवास को कर चुके हैं। इनमें 31 दिनों वाले उपवास को दो बार एवं आठ दिनों के उपवास को छह बार कर चुके हैं। इस वय में भूख, प्यास को सहन करने के साथ ही अपनी इन्द्रियों को दमन करते हुए सफलतापूर्वक उपवास करने वाले पुखराज कोठारी बताते हैं कि हर बार उपवास से उनको एक नई ऊर्जा एवं शक्ति का एहसास होता है। यह जीवन भोग के लिए नहीं, बल्कि तपस्या के लिए मिलता है। इस संदेश को समझने एवं आत्मसात करने वाले बिरले ही होते हैं। पुखराज कोठारी इनमें से एक हैं। जिन्होंने तपमार्ग का चयन करने के साथ ही पूरी निष्ठा से कठिन उपवास को धारण किया। कोठारी लगातार 11 साल तक आयम्बिल तप भी कर चुके हैं। यह साधना या उपवास महज एक चने का दाना सेवन कर किया जाता है। चंडकला तप एक माह तक एवं प्रतिदिन सामयिक तीन बार करने वाले कोठारी अ_म तप को कई बार कर चुके हैं। तप व उपवास की साधना से परिपूर्ण तेजोमय हुए पुखराज कोठारी कहते हैं कि युवा पीढ़ी को अन्य कार्यों के साथ ही धर्म साधना के मार्ग पर भी चलना चाहिए, तभी देश एवं समाज का परिपूर्ण विकास हो सकेगा। पुखराज कोठारी के भेईसा भास्कर खजांची बताते हैं कि पुखराज का शुरू से अध्यात्म के प्रति आकर्षण रहा। यह समाज की ओर से होने वाले कार्यक्रमों में बाल्यकाल से ही बढ़-चढकऱ सहभागिता करते रहे। अब बड़े हुए तो फिर यह घरेलू कार्यों के साथ ही अध्यात्मिक कार्यों को भी काफी समय देने लगे। सामाजिक कार्यों के साथ ही अध्यात्मिक साधना के पथ पर कब खुद चलने लगे इसका पता ही नहीं चला। अब तो पुखराज कोठारी तप व साधनाओं को करते हुए खुद ही उपवासमय होने के साथ यह अध्यात्मिक उपवास के रंग में पूरी तरह से रंग चुके हैं। पुखराज कोठारी कहते हैं कि महावीर के अपरिग्रह सिद्धांत को अपनाते हुए जीवन में उपवास किया जाता है। इसमें भगवान महावीर के सिद्धांतों की पालना की जाती है। इस पालना केा आत्मसात करने वाले तप की दिव्यता में निखरने के साथ ही समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत के रूप में सामने आते हैं।
फोटो नंबर 11-नागौर. पुखराज कोठारी

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