नागौर

VIDEO…खेतों को सींचने की होड़ में सूखता भूजल, पानी चला गया 800 फुट नीचे

Nagaur. अधिकाधिक उत्पादन लेने की प्रतिस्पर्धा में खेतों को पिला रहे पानी, सूख रही धरती

2 min read
Jun 09, 2023
The earth is drying up in this district of the state and the state government is sleeping...!

-मुंडवा, मेड़ता, लाडनू के साथ खींवसर के खेत पी रहे सबसे ज्यादा पानी
-इससे बिगड रहा जिले का भूजल संतुलन का ढांचा
-जिले के नागौर, जायल, रियाबड़ी, डीडवाना व मकराना भी भूजल का दोहन की होड़ लगी
-औसतन धरती का सीना फाडकऱ 200 गुना ज्यादा निकाला जा रहा भूजल
-जिले में मेड़ता, खींवसर, रियाबड़ी एवं मूण्डवा में कृषि कार्यों में भूजल का दोहन करने वाले नहीं कर रहे रिचार्ज


नागौर. अधिकाधिक उत्पादन के लिए खेतों को सींचने की होड़ में धरती सीना पूरी तरह से सूखता जा रहा है। कृषि कार्यों में सर्वाधिक दोहन करने वाले ब्लॉकों में मेड़ता जहां पहले नंबर पर है, वहीं खींवसर दूसरे नंबर पर, जबकि मूण्डवा तीसरे और रियाबड़ी चौथे नंबर पर है। फसलों को पानी पिलाने की होड़ में इन पंचायत समितियों की ओर से रिचार्ज करने का प्रतिशत औसत से भी कमतर है। ध्यान नहीं दिए जाने की वजह से भूजल का उपयोग पिछले चार से पांच सालों में कई औसतन चार से पांच गुना की रफ्तार से प्रतिवर्ष बढ़ा है। बताते हैं कि इसमें नलकूपों की भूमिका भी अहम रही है।
भूजल के स्तर के आंकड़ों पर ब्लॉकवार एक नजर ( हेक्टर मीटर में)
पंचायत समिति कृषि उपयोग कुल उपयोग
डेगाना 6807.50 8073.10
डीडवाना 1559.75 2575.25
जायल 4567.25 6111.25
खींवसर 11782.10 13242.11
कुचामन 4382.50 4790.34
लाडनूं 3145.75 4644.70
मकराना 3123.25 4668.85
मेड़ता 14853.75 15952.15
मौलासर 3753.75 4665.75
मूण्डवा 11184.75 12521.55
नागौर 2441.32 2991.72
नावां 4549.75 4758.55
परबतसर 2972.50 3707.22
रियाबड़ी 7151.00 7505.56

जिले में कुल 82274.92 हेक्टर मीटर कृषि कार्यों में किया जा रहा है कि यानी कि 47384.4 हेक्टर मीटर ज्यादा का उपयोग किया जा रहा है। यह औसत रिचार्ज होने के वाले औसत से कई गुना ज्यादा है। इसके कारण जिले में भूजल की स्थिति औसत 197.05 मीटर तक पहुंच गई है। भूजल विभाग ने इसे अतिगंभीर बताया है। संवेदनशील ब्लॉकों में खींवसर पहले नंबर पर रहा है। इसका भूजल स्तर नौ मीटर से भी ज्यादा नीचे चला गया है। दूसरे नंबर पर जायल है। यहां पर भूजल स्तर सात मीटर से भी ज्यादा नीचे गया है। कुचामन तीसरे नंबर पर है। इसका भूजल स्तर भी छह मीटर से ज्यादा घटा है। इसके बाद क्रमश: मूण्डवा, डेगाना, मकराना, नावां एवं मौलासर आदि हैं। अधिकारियों का मानना है कि पिछले आठ से दस सालों के अंतराल में भूजल उपयोग करने में तेजी आई है। इसके चलते स्थिति विकट होने लगी है।
इनका कहना है...
भूजल के उपयोग का औसत पिछले तीस सालों के अंतराल में काफी तेजी से बढ़ा है। इसके लिए व्यवसायिक उपयोग करने वालों को उपयोग से ज्यादा के औसत में जमीन को पानी से रिचार्ज करने की व्यवस्था के लिए पाबंद करने के साथ ही अन्य आवश्यक कदम उठाए गए हैं।
आर. के. गोदारा, सहायक अभियंता भूजल विभाग

Updated on:
09 Jun 2023 10:35 pm
Published on:
09 Jun 2023 10:24 pm
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