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नागौर

जांच का जिन्न बाहर आया, पंद्रह किलो सोना डकारने वालों के चेहरे आए सामने

सोने का भाव आसमान को छू रहा है पर करीब ढाई साल तक यहां पंद्रह किलो सोने के हेरफेर की चिंता किसी ने नहींं की। कोतवाली थाने में मामला दर्ज होने के बाद जांच से किनारा करते हुए पुलिस ने इसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया।

नागौरDec 06, 2024 / 09:03 pm

Sandeep Pandey

जांच का जिन्न आया बाहर

दो साल से फाइल पड़ी थी ठण्डे बस्ते में

एक्सपोज

नागौर. सोने का भाव आसमान को छू रहा है पर करीब ढाई साल तक यहां पंद्रह किलो सोने के हेरफेर की चिंता किसी ने नहींं की। कोतवाली थाने में मामला दर्ज होने के बाद जांच से किनारा करते हुए पुलिस ने इसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया। अब जाकर फाइल से धूल हटाई गई तो आधा दर्जन आरोपी चेहरे साफ हो गए। गोल्ड के नाम पर लोन देने वाली इस कम्पनी में फर्जीवाड़ा करने वालों को पुलिस जल्द पकडऩे वाली है। पुलिस ने शुक्रवार को तत्कालीन ऑडिटर के बयान लिए हैं।
सूत्र बताते हैं कि कमल टॉवर स्थित गोल्ड लोन देने वाली कम्पनी मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड में इस गड़बड़ी खुलासा फरवरी-22 में हुई ऑडिट के दौरान हुआ था। ऑडिट में करीब पंद्रह किलो सोना यानी उस समय के करीब सात करोड़ के गबन/गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। इसकी कीमत अब करीब नौ करोड़ रुपए हो चुकी है। जोधपुर के तत्कालीन रीजनल मैनेजर शिवनारायण रेड्डी की ओर से इस संबंध में गबन का करीब तीन माह बाद मई में मामला दर्ज कराया गया।
रिपोर्ट में बताया गया कि शाखा प्रबंधक सुखसिंह समेत अन्य कुछ अधिकारी/कर्मचारियों ने गोल्ड लोन के नाम पर लोन लेने वाले ग्राहकों से मिलीभगत कर ना सिर्फ खुद ने नाजायज फायदा उठाया, बल्कि कुछ ग्राहकों को भी लाभ दिलाते हुए कम्पनी को करीब पंद्रह किलो सोने की चपत लगा दी। लोन देने के बहाने लिए जाने वाले सोने के आभूषण को नग, चिड़े, धागा, मैना, मोती आदि के साथ तोलकर ग्राहकों को उसके मुताबिक लोन दिया। इससे ग्राहकों को तो मामूली लाभ हुआ पर इन अधिकारी/कर्मचारियों ने भी भारी फायदा उठाया। इनमें करीब आधा दर्जन अधिकारी/कर्मचारी तो थे ही कुछ लोन लेने वाले भी इनके ही रिश्तेदार अथवा जानकार थे। मतलब साफ है कि बड़ी मिलीभगत के जरिए कम्पनी को करोड़ों की चपत लगाई गई।
जांच पर खानापूर्ति, कुछ दिन बाद बंद

सूत्र बताते हैं कि मई 2022 में मामला दर्ज हुआ। कुछ महीने जोर-शोर से जांच का दिखावा किया गया। फिर यह सब बंद कर दिया। पुलिस कहती रही, जांच चल रही है, जांच चल रही है। हालांकि जांच के नाम पर कुछ नहीं हुआ। शुरुआती दिनों में कुछ अधिकारी-कर्मचारियों के साथ लोन में हेराफेरी करने वाले संदिग्ध ग्राहकों के बयान की औपचारिकता जरूर पूरी की गई। उधर, कम्पनी ने भी नामजद के साथ संदिग्धों को बाहर का रास्ता तो दिखाया पर ना तो कोई गिरफ्तारी हुई ना ही वसूली।
ऑडिट रिपोर्ट तक में मिलीभगत

आलम यह था कि फर्जीवाड़ा बड़े आराम से चल रहा था। इसकी एक वजह यह थी कि कम्पनी के ऑडिटर सत्यप्रकाश शर्मा व देवेंद्र शर्मा तक इस कारस्तानी में शामिल हो गए और अपने फायदे के लिए झूठी ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने लगे। इसका जमकर फायदा उठाया गया । बाद में जब सही ऑडिट हुई तो करीब पंद्रह किलो से अधिक सोना कम पाए जाने का खुलासा हुआ। वैसे तो इन्हें मिलीभगत करने वालों से वसूला जाना था, कुछ कथित ग्राहकों से वसूला भी गया पर यह नाम मात्र का है।
अब जांच के बाद नतीजा, गिरफ्तारी शेष

सूत्र बताते हैं कि मामला दर्ज होने के बाद करीब दो साल बाद तक जांच ट्रांसफर होती रही पर इसके नाम पर किया कुछ नहीं गया। कुछ महीने पहले हैड कांस्टेबल प्रेमाराम मूण्ड को यह जांच सौंपी गई तो करोड़ों के सोने की चपत लगाने वाले मुख्य किरदारों के चेहरे साफ हो गए। तत्कालीन प्रबंधक सुख सिंह समेत आधा दर्जन अधिकारी/कर्मचारी चिन्हित हो चुके हैं। एक तो महिलाकर्मी शामिल है, जिसने अपने पूरे परिवार तक को सोने के बदले लोन के नाम पर ग्राहक बना लिया था। शुक्रवार को कभी यहां के ऑडिटर रहे सूर्यप्रकाश को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, इसमें भी कुछ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं।
इनका कहना

जांच में तत्कालीन प्रबंधक सुखसिंह समेत कुछ की संलिप्तता उजागर हो गई है। बैंक से कुछ जानकारी/कागजात और मांगे हैं, जल्द ही गिरफ्तारी करेंगे।

-प्रेमाराम मूण्ड, आईओ, कोतवाली नागौर।……………

मुझे तो पूछताछ के लिए बुलाया था, मैंने तो कम्पनी के अधिकारियों को तब भी आगाह किया था। मेरा तो कोई लेना-देना नहीं है।
-सूर्य प्रकाश, पूर्व ऑडिटर, फाइनेंस कम्पनी नागौर

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