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चातुर्मास प्रवचन में राजधर्म की महत्ता समझाई

नागौर. रामद्वारा केशवदास महाराज बगीची बख्तासागर सागर में बाल्मीकि रामायण पर प्रवचन करते हुए महंत जानकीदास ने भगवान राम के द्वारा ताडक़ा वध का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि ताडक़ा , मारीच व सुबाहु तीनों अत्यंत भयंकर दारुण राक्षस थे। यह राक्षस विश्वामित्र के यज्ञ में विघ्न डालने के लिए धूल ,पत्थर, रक्त मांस ,चर्बी […]

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नागौर. रामद्वारा केशवदास महाराज बगीची बख्तासागर सागर में बाल्मीकि रामायण पर प्रवचन करते हुए महंत जानकीदास ने भगवान राम के द्वारा ताडक़ा वध का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि ताडक़ा , मारीच व सुबाहु तीनों अत्यंत भयंकर दारुण राक्षस थे। यह राक्षस विश्वामित्र के यज्ञ में विघ्न डालने के लिए धूल ,पत्थर, रक्त मांस ,चर्बी और हड्डी की वर्षा करके यज्ञ अपवित्र कर देते थे। इनको समाप्त करने के लिए विश्वामित्र ने राम को आदेश दिया कि वह ताडक़ा का वध करें। इस पर भगवान राम ने विश्वामित्र को कहा कि मैं स्त्री के ऊपर हाथ नहीं उठाना मेरी मर्यादा नहीं है। इस पर विश्वामित्र कहते हैं कि एक राजपूत्र को चारों वर्णों के हित के लिए स्त्री हत्या भी करनी पड़े तो उससे मुंह नहीं मोडऩा चाहिए । प्रजा पालक नरेश को प्रजा जनों की रक्षा के लिए कूरर्तापूर्ण कर्म भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षमाशील महापुरुष ही संसार में हमेशा पूजित होते आए हैं। स्त्री हो या पुरुष उसके लिए एक क्षमा ही आभूषण है और क्षमा करना देवताओं के लिए भी दुष्कर है। समाधान है। क्षमा पर ही संपूर्ण जगत टिका हुआ है ।इस दौरान अक्षय कुमार ,जेठमल पवांर ,सुरेश कुमार तोषनीवाल, मदनलाल कच्छावा, सत्यनारायण सेन,बाबू लाल, कालूराम,भंवर दास वैष्णव ,जेठाराम ,संत मांगूदास ,कल्याणदास आदि मौजूद थे।