गौरतलब है कि एक समय था, जब प्रदेश की खासकर मारवाड़ क्षेत्र की सरकारी स्कूलों में बालिकाओं की संख्या 10 से 20 प्रतिशत भी नहीं थी, लेकिन आज बालिकाओं की संख्या बालकों से अधिक हो गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बालिकाएं पढऩे में अधिक रुचि दिखाती हैं और परिणाम भी अपेक्षाकृत अच्छा रहता है। बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम पर नजर डालें तो बालिकाओं का परिणाम बालकों से हमेशा बेहतर रहता है।
फेक्ट फाइल प्रदेश की सरकारी स्कूलों में नामांकन की स्थिति छात्र – 38,19,008 छात्रा – 42,99,527 थर्ड जेंडर – 843 कुल 81,19,378 आत्मनिर्भरता के नए आयाम छू रही
समाज में आई जागृति व सोच में आए बदलाव का ही परिणाम है कि आजकल हर व्यक्ति बालिका को पढ़ाने लग गया है, जबकि पहले सोच यह थी कि बेटी को पराए घर जाना है, इसलिए पढ़-लिखकर क्या करेगी। अब लोग कहते हैं कि एक महिला पढ़ेगी तो दो घरों को रोशन करेंगी। आज बेटियां आत्मनिर्भरता के नए आयामों को छू रही हैं। बेटियों को पढ़ाई से लेकर परिवार के हर क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करने से वे जीवन में आगे बढकऱ परिवार का नाम रोशन करती हैं। सफल बेटियों और अभिभावकों के मुताबिक, बेटियों की सफलता में उनके साथ खड़े होने-चलने का धैर्य और उनकी परवरिश का खास योगदान रहता है। बेटियों को आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहन, हौसला और संसाधन की ज़रूरत होती है।
बेटियां हर क्षेत्र में आगे बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। बेटियां मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित खेलों में भी बुलंदियों को छू रही हैं। बेटियां सेना में भर्ती होकर बॉर्डर पर देश की रक्षा कर रही हैं तो एयरफोर्स में लड़ाकू विमान तक उड़ा रही हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं में भी महिलाएं ज्यादा पिछले कुछ वर्षों में प्रतियोगी परीक्षाओं में भी महिला अभ्यर्थियों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है। खासकर शिक्षक भर्ती से जुड़ी परीक्षाओं में महिलाओं की संख्या अधिक होती है। गत दिनों आयोजित सीईटी परीक्षा में भी महिलाओं की संख्या अधिक रही।
जागरुकता का परिणाम कॉलेज स्तर की शिक्षा में सरकार ने हर वर्ग में बालिकाओं को 50 प्रतिशत क्षेतीज आरक्षण दिया है, साथ ही सह शिक्षा वाली कॉलेजों में 3 प्रतिशत आरक्षण अलग से हैं। इसके चलते कॉलेजों में भी बालिकाओं की संख्या बढ़ी है। इसके साथ अभिभावकों में बालिका शिक्षा के प्रति जागरुकता बढ़ी है। साथ ही बालिकाएं अपने परिजनों की उम्मीदों पर खरा उतर रही हैं, इसी का परिणाम है कि बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में बेटों को पीछे छोड़ रही हैं।
– डॉ. हरसुखराम छरंग, प्राचार्य, बीआर मिर्धा राजकीय कॉलेज, नागौर। क्या कहते हैं एक्सपर्ट लड़कियों की शिक्षा से राष्ट्र का भविष्य उज्ज्वल होता है। यह सुखद अहसास है कि स्कूलों व कॉलेजों में छात्रों की अपेक्षा छात्राओं की संख्या बढ़ रही है। हालांकि अब भी आंकड़ों और वास्तविकता के बीच एक बड़ा अंतर है। इस अंतर को पाटने के लिए हमें शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने, स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने और लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान देना होगा। इससे परिवार, समाज और राष्ट्र की दशा और दिशा में एक सकारात्मक बदलाव आएगा।
– पूर्णिमा झा, पूर्व विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान, राजकीय महाविद्यालय , नागौर