नागौर. मांगीबाई-तुलसीराम चांडक चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से बीएल गार्डन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का शनिवार को समापन हुआ। समापन दिवस पर संत क्षमाराम ने श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए बाणासुर प्रसंग का विस्तृत वर्णन करते हुए कहा कि मतभेद हो सकता है, परन्तु मनभेद किसी से मत रखो। अन्याय का विरोध जरूर करना चाहिए। अन्याय सहने से अन्याय बढ़ता जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान के सामने विनम्र भाव से रहने वाले को कभी दुख का सामना नहीं करना पड़ता। भगवान नाम का उच्चारण सबसे बड़ी तोप है, इसके जाप से बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं। ऋषि-मुनि एवं देवता भी भगवान को स्तुति एवं उपासना से ही रिझाते हैं। भगवान के तीन स्वरूप है सुप्त, जागृत तथा स्वगुण साकार। इनको पहचानना हो तो पहले अपनी अंतरात्मा को पहचानना, यानी स्वयं से स्वयं को मूल रूप से पहचानो तो भगवान का भान अपने आप हो जाएगा। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए भक्ति की महिमा समझाई। भीमसेन व जरासंध के प्रसंग का भी वर्णन किया गया। कथा के समापन पर श्रीमद्भागवत की शोभायात्रा निकली। कार्यक्रम में खेड़ापा धाम महंत पुर्षोत्तम महाराज व आनंद आश्रम बीकानेर के रामपाल महाराज का सानिध्य विशेष रूप से प्राप्त हुआ। कथा में खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल, रमेश मित्तल, ऋषभ राठी गोटन, शंकरलाल, रवि प्रकाश सोनी, श्यामसुंदर बजाज सूरत, राम कुमार भाटी, प्रेमाराम जाखड़, मगनीराम सांखला, डॉक्टर सहदेव चौधरी व डॉक्टर वंदना गोदारा आदि मौजूद थीं।
फोटो. नागौर. भागवत कथा में आरती करते हुए