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प्रति वर्ष लगाते हजारों पौधे, हरियाली का नहीं नामोनिशान

खींवसर (नागौर). आज विश्व पर्यावरण दिवस है लेकिन यहां बिना चारदीवारी के स्कूलों में पौधरोपण केवल खिंचवाने तक सीमित होकर रह गया है।

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खींवसर के चिन्दडी गांव की बिना चार दीवारी का राजकीय प्राथमिक विद्यालय।

- 34 गांवों के सरकारी स्कूलों में चार दीवारी नहीं

- सुरक्षा के अभाव में पशुओं कर रहे पौधे नष्ट

- पंचायतों के प्रस्तावों पर सरकार नहीं करती गौर

सवाईसिंहहमीराणा

खींवसर (नागौर). आज विश्व पर्यावरण दिवस है लेकिन यहां बिना चारदीवारी के स्कूलों में पौधरोपण केवल खिंचवाने तक सीमित होकर रह गया है। सब जानते है कि बिना सुरक्षा के पौधे जीवित नहीं रह पाएंगे, लेकिन सरकार को इन स्कूलों की चारदीवारी की कोई चिंता नहीं है । हर साल राज्य सरकार हरित राजस्थान कार्यक्रम चलाकर सरकारी विद्यालयों में अधिकाधिक पौधरोपण का लक्ष्य देती है, लेकिन इन स्कूलों में हरियाली का नमोनिशान तक नहीं है।

कारण स्पष्ट है , खींवसर क्षेत्र के 34 गांवों के सरकारी स्कूलों के चार दीवारी तक नहीं है। यहां विद्यालय अवकाश के बाद लगाए गए पौधों का कोई धणीधोरी नहीं है। शिक्षक यहां लक्ष्य पूरे करने को प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में पौधे लगाते हैं, लेकिन सुरक्षा के अभाव में पशु उन्हें खाकर नष्ट कर देते हैं। शिक्षक चाहते हैं कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिकाधिक पौधे लगाए जाए, लेकिन सुरक्षा उपाय नहीं होने से प्रयास सार्थक परिणाम नहीं ला पाते हैं। उपखण्ड क्षेत्र के गांवों के 03 उच्च प्राथमिक विद्यालय, 29 प्राथमिक, एक माध्यमिक व एक उच्च माध्यमिक स्कूल में दशकों से चार दीवारी नहीं बन पाई है। जबकि सरकार इन्हें प्रतिवर्ष पौधे लगाने का लक्ष्य देने के साथ पौधे आंवटित कर रही है।

आखिर क्यों नहीं प्रस्ताव पर ध्यान

गांवों के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बालक बालिकाओं की सुरक्षा की दृष्टि से भी चार दीवारी होना जरूरी है। इसके लिए ग्राम पंचायतें प्रस्ताव भी भेजती है। शिक्षा विभाग अपने स्तर पर उच्च अधिकारियों को अवगत करवाते हैं, लेकिन सरकार बरसों से इन विद्यालयों की अनदेखी कर रही है। यहां पौधरोपण पर खर्च होने वाले धन एवं श्रम का कोई उपयोग नहीं है। चार दीवारी अभाव में विद्यालय पशुओं की शरणस्थली बन गए हैं।

जानकारी करेंगे क्यों नहीं बनी चारदीवारी

यह काम शिक्षा विभाग का है। शिक्षा विभाग के पास रमसा एवं समसा से बजट मिलता है। ऐसे में उन्हें चारदीवारी करवानी चाहिए थी। पता करेंगे इतने लम्बे समय से स्कूलों के चारदीवारी क्यों नहीं बनवाई गई।

-हरीसिंह शेखावत, उपखण्ड अधिकारी खींवसर