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मुफ्त गेहूं पाने का बढ़ रहा है इंतजार, काम बंद तो कैसे बनें इसके हकदार

-खाद्य सुरक्षा के तहत पोर्टल करीब एक माह से पड़ा है बंद -एक लाख 19 हजार में से सिर्फ 25 फीसदी ही चयनित, शेष को अपनी बारी का इंतजार-बढ़ेंगे परिवार तो केन्द्र से मिल रहे गेहूं से नहीं पड़ेगी पार

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मुफ्त गेहूं का इंतजार

मुफ्त गेहूं का इंतजार खत्म नहीं हो पा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत चयन का काम बंद पड़ा है। नागौर जिले के कुल आवेदकों में सिर्फ 25 फीसदी ही इसके लिए चयनित हुए हैं।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

नागौर. मुफ्त गेहूं का इंतजार खत्म नहीं हो पा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत चयन का काम बंद पड़ा है। नागौर जिले के कुल आवेदकों में सिर्फ 25 फीसदी ही इसके लिए चयनित हुए हैं। ऐसे में मुफ्त गेहूं का इंतजार कर रहे लोगों को फ्री में दिए जाने वाले मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा फूड पैकेट से भी वंचित रहना होगा।

सूत्रों के अनुसार पोर्टल महीने भर से बंद है और खाद्य सुरक्षा के तहत चयनित परिवारों का काम भी अटका हुआ है। करीब एक लाख 19 हजार 877 परिवारों ने इसके लिए नागौर जिले में आवेदन किया था। इनमें 32 हजार 438 का चयन हुआ, शेष का इस सूची में आना फिलहाल लम्बित है। वर्तमान में नागौर जिले के पांच लाख 65 हजार परिवारों को मुफ्त गेहूं का लाभ दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री की बिजली समेत अन्य राहत में अन्नपूर्णा फूड पैकेट भी शामिल है। अब चयन से वंचित लोगों को इसका लाभ नहीं मिलने की आशंका है। भारत सरकार की ओर से राजस्थान के 4.46 करोड़ लोगों को मुफ्त गेहूं दिया जाता है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा के तहत चयनित परिवारों की संख्या और बढ़ेगी तो गेहूं का वितरण एक बड़ी मुसीबत हो जाएगा। बताया यह भी जा रहा है कि राज्य सरकार ने गेहूं बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। वर्तमान में नागौर जिले के करीब 66 फीसदी यानी 23 लाख 50 हजार लोगों को मुफ्त गेहूं का लाभ मिल रहा है।

सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत चयनित परिवार के नियमों पर गौर करें तो कुछ और हकीकत ही सामने आ रही है। कई वो परिवार हैं जिनके घर में लग्जरी कार अथवा चार पहिया गाड़ी है। आमदनी भी अच्छी है पर पहले सस्ते और अब मुफ्त दिए जाने वाले गेहूं लेने में कतई पीछे नहीं हैं। ऐसे अपात्रों की जांच यूं तो शुरू हुई है, अब इनको सूची से हटाने में कितना वक्त लगेगा, यह कहा नहीं जा सकता। पूरे प्रदेश में ऐसे लोगों को सूची से बाहर करने का अभियान सिर्फ नागौर जिले में ही शुरू हुआ है। कुछ दिन पहले जांच में करीब तीन हजार परिवार खाद्य सुरक्षा सूची के पात्र न होते हुए भी बरसों से गरीब बन सरकार को चपत लगा रहे थे। इस तरह करीब दस हजार से अधिक लोगों को हर माह दिए जाने वाले करीब साढ़े पांच सौ क्विंटल गेहूं की चपत पर रोक लगाने की कोशिश हो चुकी है। जिला रसद विभाग के साथ सूचना एवं प्रोद्यौगिकी विभाग की ओर से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में शामिल लाभार्थियों की जिला कलक्टर पीयूष समारिया के निर्देश पर गुप्त जांच कराई गई थी। राशन की दुकान पर गेहूं लेने को आने वाली लग्जरी गाडिय़ों ने प्रशासन की आंखें खोल दी। नियमों के हिसाब से भी कमर्शियल वाहन को छोड़ किसी भी परिवार के पास चौपहिया वाहन होगा तो वह इस योजना का पात्र नहीं हो सकता।