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VIDEO….यह क्या कह दिया शंकराचार्य ने…! मक्का में मक्केश्वर महादेव विराजमान है मिल गए क्या मक्केश्वर महादेव

Nagaur. गोवर्धन मठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग पर चर्चा करते हुए कहा कि ज्ञानवापी में मौजूद महादेव के अलावा हमें दूसरी जगह भी देखना होगा। उन्होंने कहा कि मक्का में मक्केश्वर महादेव मौजूद हैं।

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Makkeshwar Mahadev is sitting in Mecca, have you found Makkeshwar Mahadev?

नागौर. गोवर्धन मठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग पर चर्चा करते हुए कहा कि ज्ञानवापी में मौजूद महादेव के अलावा हमें दूसरी जगह भी देखना होगा। उन्होंने कहा कि मक्का में मक्केश्वर महादेव मौजूद हैं। हम तो यहां तक पहुंच गए हैं। मक्केश्वर महादेव में भी महादेव की मौजूदगी को इंकार नहीं किया जा सकता है। ज्ञानवापी में ही केवल महादेव नहीं है। यहां से मक्केश्वर महादेव की दूरी महज तीन हजार किलोमीटर की दूरी पर है। हवाई यात्रा से महज तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बात के ऐतिहासिक तथ्यात्मक तथ्य हैं कि वहां पर यानी कि मक्का में मक्केश्वर महादेव विराजमान हैं।

पंद्रह देश कर रहे इंतजार
शंकराचार्य ने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए। भारत के हिंदू राष्ट्र घोषित होने पर कई अन्य देश भी इसका अनुकरण करने के लिए तैयार हैं। भारत ने यदि दुर्बलता नहीं दिखाई तो फिर भारत के हिंदू राष्ट्र की घोषणा करने पर नेपाल एवं मारीशस सहित विश्व के पंद्रह देश इसका अनुकरा करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए जरूरी है कि भारत सबसे पहले इसकी घोषणा करे तो फिर बात बन सकती है। इसमें दुर्बलता का पूरी तरह से त्याग करना होगा। मजबूत इच्छा शक्ति के साथ यह कार्य करना चाहिए। भारत सरीखे मजबूत देश ने भी इसमें दुर्बलता दिखाई तो फिर अन्य देश भी इसका ही अनुकरण करेंगे। ऐसे देश तो केवल इसके लिए भी भारत का मुंह देख रहे हैं।

गोरक्षकों को गुंडे कहा गया था
शंकराचार्य से लंपी से पीडि़त गोवंशों के लिए किए जाने सरकारी प्रयासों के संदर्भ में हुए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले गोसेवा करने वाले रक्षकों को गोरक्षक गुण्डों की संज्ञा दी गई थी। यह बेहद विडंबनापूर्ण स्थिति है कि कि गो की हत्या करने वालों को हत्यारों की संज्ञा नहीं दी गई, जबकि गोरक्षकों के लिए प्रयुक्त किया गया यह शब्द काफी कुछ प्रदर्शित कर देता है। गोवंशों की सेवा कार्य को व्याख्यित करते हुए कहा कि यह भी पर्यावरण का एक प्रमुख अंग है। विकास के दौरान पर्यावरण की महत्ता का पूरी तरह से ध्यान रखना होगा।