जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रंग में शहर रंगा रहा। पूरे दिन जन्माष्टमी की धूम रही। शहर के सुप्रसिद्ध नगरसेठ बंशीवाला मंदिर में भगवान कृष्ण का विशेष पूजन-अर्चन किया गया। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण का विशेष शृंगार करने के साथ ही उनकी लीलाओं को भजनों के माध्यम से श्रद्धालुओं ने प्रस्तुत किया। शाम को करीब पौने आठ बजे आरती हुई। इसमें श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इसके पश्चात रात्रि में करीब साढ़े दस बजे हुई आरती के बाद गर्भगृह के पट बंद कर दिए गए। मध्य रात्रि में मंजीरे की धुन के साथ भगवान जन्मे तो बंशीवाला का श्रद्धालुओं को दर्शन मिला। इस दौरान श्रद्धालु भगवान का पूरे समय तक वंदन करते रहे। देर रात्रि माखन का भोग भगवान को अर्पित करने के साथ श्रद्धालुओं को भी वितरित किया गया। शहर के प्राचीन मंदिरों में शुमार गोपीनाथ मंदिर में जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर आधारित घटनाओं को झांकियों के माध्यम से शानदार तरीके से दिखाया गया। आधी रात में भगवान का जन्म, यमुना से लेकर वसुदेव का अपने सिर पर भगवान को लेकर वृंदावन पहुंचने के दृश्यों को झांकियों के माध्यम से जीवंत किया गया था। रंग-बिरंगी लाइट में झरने के आकार में ढली यमुना में वसुदेव का गमन करने का दृष्य पूरी तरह से रंगीन लाइटों की रोशनी में सजाया गया था। भगवान के विविध प्रसंगों की झांकियों को देखने के लिए श्रद्धालुओं में देर रात्रि तक होड़ लगी रही। शहर के अन्य मंदिरों में भी भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित झांकियां सजी। श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। इस दौरान जन्माष्टमी व्रत रखने वालों ने पूरे दिन भगवान का अर्चन किया। उपवास के दौरान भगवान श्रीकृष्ण सहस्त्र स्तोत्रम आदि का पाठ करते रहे।