21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

घट स्थापना के के साथ मंदिरों में गूंजे देवी मंत्रों के स्वर

Nagaur. ऊॅ ऐं ह्री क्लीं चामुण्डाये विच्चे नवार्ण मंत्रों से बदला वातावरण-सोशल डिस्टेन्सिंग को ध्यान में रखते हुए मंदिरों में श्रद्धालुओं ने किया शैलपुत्री का दर्शन, नारियल, लाल चुनरी, प्रसाद किया अर्पित, चण्डीजाप, दुर्गासप्तशती पाठ के गूंजते रहे संस्कृतमय श्लोक-शारदीय नवरात्रि आज से, देवी मंदिरों में कोविड-19 की गाइडलाइन के दायरे में होंगे कार्यक्रम, देर शाम तक चली तैयारियां, मंदिरों में देवी मूर्तियों का होता रहा शृंगार

2 min read
Google source verification
With the establishment of Ghat, the voices of goddess mantras resonated in the temples.

With the establishment of Ghat, the voices of goddess mantras resonated in the temples.

नागौर. शारदीय नवरात्र गुरुवार से शुरू हो गई। मंदिरों में दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के रूप में विभिन्न फूलों के साथ बर्फ से शृंगार किया गया। शुभ मुहूर्त में घट स्थापना वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गई। अखण्ड दीपक जलाए गए। श्रद्धालुओं ने पूरे दिन उपवास रखा। इस दौरान मंदिरों में कोविड-19 की गाइडलाइन को देखते हुए सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ दूरी बनाते हुए श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा के दर्शन किए। श्रद्धालुओं के जयघोषों से मंदिर परिसर गूंजता रहा।
गुरुवार की सुबह शारदीय नवरात्रि की शुभता के साथ शुरू हुई। अब तक बंद चल रहे शुभकार्य फिर से शुरू हो गए। नवरात्रि के पहले देवी मंदिरों में शहर के माही दरवाजा स्थित सुस्वाणी माता मंदिर, खांई की गली स्थित लक्ष्मीमाता मंदिर, बाहेतियों की गली स्थित ब्रह्माणी माता मंदिर, पुलिस लाइन स्थित जोगमाया करणी माता मंदिर में नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ विविध धार्मिक कार्यक्रम शुरू हुए। मंदिरों में सुबह से भी श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया। सुबह 11 बजे तक बाहेतियों की गली स्थित ब्रह्माणी माता मंदिर, करणी माता मंदिर एवं सुस्वाणी माता मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। इस दौरान मंदिरों की ओर से लगाए गए वालंटियर्स श्रद्धालुओं को कोविड-19 के तहत समझाते, और श्रद्धालुओं की लाइन को सोशल डिसटेन्सिंग के हिसाब से नियंत्रित करते नजर आए। श्रद्धालुओं ने माता को लाल चुनरी, प्रसाद एवं नारियल के साथ प्रसाद के तौर पर मिष्ठान्न अर्पित कर मनवांछित कामना की। बताते हैं कि नौ दुर्गा के स्वरूपों में माता शैलपुत्री के दर्शन एवं अर्चन से समस्त संतापों का नाश हो जाता है। मंदिरों में शैलपुत्री के रूप में सजी मां दुर्गा का पहला स्वरूप श्रद्धालुओं में श्रद्धा का केन्द्र बना रहा। इस दौरान संकल्प पाठ के साथ ही चण्डीजाप, दुर्गासप्तशती पाठ, दुर्गा के सहस्त्र नामों की माला जाप का काम भी चलता रहा। श्रद्धालुओं के संस्कृतमय श्लोकों से गूंजते पूरे वातावरण में मंत्रों का अद्भुद स्वरों से श्रद्धालू आस्था से ओतप्रोत नजर आए।