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स्वतंत्रता दिवस पर विशेष…खास है पर्णकुटी, आजादी के दीवानों ने ली थी यहां शरण

दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर स्थित नागदा का इतिहास आजादी से जुड़ा रहा है। रेलवे स्टेशन के समीप पं दीनदयाल चौक पर स्थित पर्ण कुटी इसकी गवाह है।

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रवींद्रसिंह रघुवंशी@नागदा. दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर स्थित नागदा का इतिहास आजादी से जुड़ा रहा है। रेलवे स्टेशन के समीप पं दीनदयाल चौक पर स्थित पर्ण कुटी इसकी गवाह है। स्नेही परिवार के सान्निध्य में यहां आजादी के आंदोलन में कई क्रांतिकारियों ने पनाह ली थी। क्रांतिकारी यहां छिपने के लिए आते थे और स्वाधीनता आंदोलन की भावी रूपरेखा तय करते थे।

यहां सुभाषचंद्र बोस के साथी बटुकेश्वर दत्त भी छिपे रहे

यहां सुभाषचंद्र बोस के साथी बटुकेश्वर दत्त भी छिपे रहे थे। इसी प्रकार सुभाषचंद्र बोस के एक और साथी हरिलाल झांसी ने भी यहां फरारी काटी थी। यह स्थान मूर्धन्य साहित्यकार गांधी मानस महाकाल रचयिता कवि स्व. नटवरलाल स्नेही, अग्रज स्वाधीनता सेनानी हरिप्रसाद शर्मा का निवास स्थान रहा है। अंग्रेज सरकार द्वारा 5 हजार रुपए के इनामी वारंटी बिहार निवासी क्रांतिकारी श्याम बिहारी ने भी दो माह तक पर्ण कुटी में फरारी काटी थी। यह लोग अब नहीं रहे, लेकिन इनके पदचिह्न इस गौरवगाथा के संवाहक बने हुए हैं। शहर में उस पीढ़ी के लोग भी अब नहीं है।


इन क्रांतिकारियों ने ली थी पनाह

आंदोलन में जिन प्रमुख क्रांतिकारियों, सेनानियों व प्रमुख व्यक्तियों का पर्णकुटी में पनाह ली, उनमें पूर्व सांसद, स्वाधीनता सेनानी व भूतपूर्व अखिल भारतीय समाजवादी दल के अध्यक्ष मामा बालेश्वर दयाल, भूतपूर्व संसद सदस्य व मप्र स्वतंत्रता सेनानी संघ के अध्यक्ष स्व. कन्हैयालाल वैद्य, भूतपूर्व सांसद स्व. राधेलाल व्यास, मध्य भारत के प्रथम मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी, मध्य भारत के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्व. गोपीकृष्ण विजयवर्गीय, स्व. मिश्रीलाल गंगवाल, स्व. तखतमल जैन, भूतपूर्व मुख्यमंत्री अजमेर, स्व. हरिभाऊ उपाध्याय, समाजसेवी स्व. कृष्णराव वासुदेव दाते, प्रमुख सेनानी गणेशदत्त शर्मा, डॉ. हरिराम चौबे, कन्हैयालाल खादीवाल, कुसुमकांत जैन, गांधीवादी विचारक स्व. रामचंद्र नवाल, स्व. जयप्रकाश, मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाशनाथ काटजू आदि प्रमुख हैं।

राजस्थान की प्रथम विधायक का निवास

पर्णकुटी राजस्थान की प्रथम महिला विधायक व गांधीवादी रचनात्मक कार्यकर्ता यशोदा बहन का निवास स्थान भी है। यशोदा बहन आजादी के बाद पहली बार हुए राजस्थान के विधानसभा चुनाव वर्ष १९५२ में विधायक बनी थी। वह राजस्थान के बांसवाड़ा से विधायक चुनी गई थी।

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