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बेटियों को हुनर की रोशनी से आत्मनिर्भरता का प्रकाश फैला रही ‘रोशन’

सीखाने का शुल्क नहीं, उल्टा रॉ मटेरियल खुद उपलब्ध कराती है, अब तक 50 से ज्यादा को बना चुकी हुनरमंद

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'Roshan' is spreading the light of self-reliance to daughters with the

सीखाने का शुल्क नहीं, उल्टा रॉ मटेरियल खुद उपलब्ध कराती है, अब तक 50 से ज्यादा को बना चुकी हुनरमंद

नागदा. नगर की वयोवृद्ध महिला अपने जैसी बाकी महिलाओं और बेटियों को आत्मनिर्भर बना रही हैं। 69 साल की रोशन खान 36 वर्षों से महिलाओं व बेटियों के हाथों में हुनर की रोशनी जगा रही है। रोशन की खासियत है कि वे इसका शुल्क नहीं लेती, उल्टा उनसे प्रशिक्षण लेने वाली महिला को रॉ मटेरियल भी खुद उपलब्ध कराती है। रोशन ने आजादपुरा में केंद्र खोल रखा है, जहां वे महिलाओं को प्रशिक्षित करती है। बीते 36 वर्षों में उन्होंने 50 से ज्यादा महिलाओं को हुनरमंद बनाकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं।
महिलाएं चला रहीं आजीविका
अधिकाशं महिलाएं अपनी आजीविका भी चला रही है। सोमवार को उनके केंद्र की 36वीं वर्षगांठ पर उन्होंने दो निर्धन बालिकाओं को सिलाई मशीन भी दी। बता दें कि रोशन कांग्रेस नेत्री नूरी खान की मां है। रोशन ने कहा, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। पति इस्माइल की नौकरी भी नहीं थी। तब उन्होंने ग्रेसिम, जनसेवा व बाल मंदिर की ड्रेस सिलना शुरू की। धीरे-धीरे उनकी सिलाई में रुचि बढती गई।
सीखाने को सामग्री भी मुहैया कराती हैं
रोशन ने रंगोली, मेहंदी, पेंटिंग, मेकरम, जरदोजी, जूट की सामग्री बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे वह बाकी बालिकाओं व महिलाओं को हुनरमंद बनाने लगी। उनके सेंटर पर प्रशिक्षण लेने आने वाली महिलाओं को देख उन्होंने उनकी आर्थिक कमजोरी महसूस की। ऐसे में उन्होंने प्रशिक्षण लेने वाली महिलाओं से रुपए नहीं लिए। उल्टा उन्हें सीखाने के लिए सामग्री भी मुहैया कराने लगी।
कोई भी महिला किसी के भरोसे नहीं रहे
रोशन कहती हैं, उन्होंने हर महिला में अपने अतीत को देखा है। वे नहीं चाहती कि कोई भी महिला या बेटी किसी के भरोसे रहें। इसीलिए वे उनके हाथों में हुनर की रोशनी जगा रही है ताकि विपरित परिस्थिति में वह अपनी आजीविका चला सकें। रोशन के पास नागदा के विभिन्न क्षेत्रों के साथ गांवों से भी महिलाएं सिलाई, रंगोली, मेहंदी, पेटिंग, मेकरम आदि का प्रशिक्षण लेने पहुंच रही है।