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नागदा

देखें वीडियो : चारों ओर पानी ही पानी…. निचली बस्तियों में चलाना पड़ी नाव, महिला, बुजुर्ग, बच्चों को खाट पर बैठाकर किया रेसक्यू

36 घंटे में 12 इंच, 7 साल बाद श्मशान में पहुंचा पानी, 4 साल बाद बनबना तालाब लबालब, स्लम बस्ती में पानी भरने से 74 लोगों को किया रेस्क्यु

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नागदा. नागदा सहित अंचल में बीते 48 घंटों से हो रही बारिश ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस जलप्रवाह में नदी, नाले, तालाब, डेम, सडक़ें, गली-मोहल्ले, रेलवे ट्रैक सब डूब गए। निचली बस्तियां में तो नाव चलाना पड़ी तो कई जगहों पर महिला, बुजुर्ग, बच्चों को खाट पर बैठाकर रेसक्यु करना पड़ा। अलग-अलग जगहों से कुल 74 लोगों को रेस्क्यु करके सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। पुलियाएं डूबने से बायपास से कॉलोनियां के बीच का रास्ता कट गया। रेलवे ट्रैक पर पानी भराने से पैसेंजर ट्रेन काफी देर रुकने के बाद आगे बढ़ी।
इधर, चंबल खतरें के निशान से कुछ ही फीट नीचे बह रही हैं। चामुंडा माता मंदिर का सिर्फ शिखर नजर आ रहा हैं। चंबल का रोद्र रुप देखने के लिए लोग ब्रिज पर ही ठहर

गए। जिससे जाम की स्थिति बनी। दूसरी तरफ 9 एमसीएफटी क्षमता का हनुमान डेम क्षमता से अधिक बह रहा था। इससे डेम के समीप बने फौजी हनुमानजी मंदिर के अंदर पानी घुस गया। 7 साल बाद श्मशान के अंदर तक पानी घुस गया। इससे पहले वर्ष 2016 में ऐसा हुआ था। 4 साल बाद बनबना तालाब निर्धारित क्षमता से 1 मीटर ऊपर बह रहा था। इससे पहले ऐसा 2019 में हुआ था। शुक्रवार शाम 5 बजे से रुक-रुककर बारिश शुरू हुई थी। फिर रात 10 बजे से मूसलाधार बारिश शुरू हुई जो दोपहर में थमी। आंकड़ों के मुताबिक 36 घंटे में 12 इंच के लगभग बारिश दर्ज की जा चुकी हैं। जो इस सीजन में अपने आप में रिकॉर्ड हैं। इसी के साथ नागदा तहसील में सीजन की कुल बारिश 45.444 इंच दर्ज की जा चुकी हैं। जो औसत 36 इंच से लगभग डेढ़ गुना अधिक हैं।
आपदा प्रबंधन फेल…जनता गुहार लगाती रही, अफसर मंथन करते रहें
प्रशासन का आपदा प्रबंधन पूरी तरह फेल रहा। निचली बस्ती में पानी घुसने के बाद लोग रहने के लिए सुरक्षित स्थान ढूंढते रहें, दूसरी तरफ एसडीएम मो. सिराज खान एक्शन लेने

की बजाएं मातहतों की बैठक लेकर समस्या से निपटने पर मंथन करते रहें। जैसे-तैसे प्रशासन महज एक ही नाव की व्यवस्था प्रशासन कर पाया। निचली बस्ती में जलस्तर बढऩे पर 10 लोगों को गफूर बस्ती, 40 लोगों को इंद्रा कॉलोनी, 20 लोगों को चेतनपुरा व 4 लोगों को महिदपुर रोड कमला गार्डन के पास से रेसक्यु कर सुरक्षित स्थान पर भेजा गया। विधायक दिलीपसिंह गुर्जर, पूर्व विधायक दिलीपसिंह शेखावत ने प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर जायजा लिया। ग्राम नायन में छोटी पुलिया से नायन पहुंच मार्ग तक डूबने से लोगों को लंबा फेरा लगाकर नागदा आना पड़ हैं। ग्रामीणों ने कहा- जनप्रतिनिधियों ने ब्रिज तो बना दिया, लेकिन इसका कोई औचित्य नहीं बचा। मेहतवास वर्धमान नगर में घुटने-घुटने तक पानी भर गया। क्षेत्र के संजयसिंह ने बताया कि ध्वस्त ड्रेनेज सिस्टम व बेहतर सफाई व्यवस्था नहीं होने पानी निकासी नहीं हो पाती। जिससे यह स्थिति बनती हैं। नपा को कई बार शिकायत करने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ।
ट्रैक पर पानी, 40 मिनट आउटर पर खड़ी रही मेमु
रेलवे ट्रैक पर पानी जमा हो गया। उज्जैन लाइन पर पानी भर जाने से कोटा से चलकर नागदा होते हुए रतलाम जाने वाली मेमु पैसेंजर लगभग 40 मिनट तक आउटर पर खड़ी रही। पानी की निकासी करने के बाद ट्रेन धीरे-धीरे आगे बढ़ी।
आगे क्या: जलसंकट के साथ रबी सीजन की चिंता दूर
बारिश ने जलसंकट की चिंता तो दूर कर दी हैं। रबी सीजन में सिंचाई की चिंता से भी किसानों को उबार दिया हैं। किसानों ने कहा- 8 दिन की बारिश 38 घंटे में होने से कुएं, बोरिंग लबालब हो गए। अब रबी की फसलें बिना रुकावट के सिंची जा सकती हैं। इधर, अल्पवर्षा से प्रभावित हो चुकी अर्ली वैरायटी की सोयाबीन पकने की स्थिति में आ गई है, लेकिन अब इसका बहुत ज्यादा औचित्य नहीं। 2-4 दिन में लेट वैरायटी की सोयाबीन भी तैयार हो जाएगी। यदि आगे भी ऐसी ही बारिश जारी रही तो यह फसल भी नष्ट हो जाएगी।