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IED Blast: माइंस एरिया में और भी बम फटेंगे… IED की चपेट में आकर मजदूर की मौत, नक्सलियों ने दी खुली चुनौती!

IED Blast: नारायणपुर जिले के छोटेडोंगर स्थित आमदई माइंस में नक्सलियों के लगाए प्रेशर आईईडी की चपेट में आने से एक मजदूर की मौत हो गई। वहीं एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया।

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IED की चपेट में आकर महिला आरक्षक घायल (photo-patrika)

IED की चपेट में आकर महिला आरक्षक घायल (photo-patrika)

IED Blast: नारायणपुर जिले के छोटेडोंगर स्थित आमदई माइंस में नक्सलियों के लगाए प्रेशर आईईडी की चपेट में आने से एक मजदूर की मौत हो गई। वहीं एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया।

अधिकारियों ने बताया कि यह घटना नारायणपुर के छोटेडोंगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आमदई घाटी लौह अयस्क खदान में ब्लास्ट हुआ। सुबह 10.30 बजे प्रेशर कूकर आईईडी में एक मजदूर का पैर पडऩे से ब्लास्ट हो गया। इसकी चपेट में आने से दिलीप कुमार बघेल (25) और हरेन्द कुमार नाग (26) घायल हो गए थे। इनमें से दिलीप कुमार ने अस्पताल पहुंचने के दौरान दम तोड़ दिया। बता दें कि घायलों को अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर किया गया था। लेकिन रास्ते में ही दिलीप कुमार बघेल ने दम तोड़ दिया।

IED Blast: आमदई माइंस का नक्सली कर रहे विरोध

इसके बाद छोटेडोंगर डीआरजी और आमदई कैम्प की सीएएफ की टीम आसपास के इलाके में सेनेटाजिग कर रही है। घटना के बाद आमदई माइंस में कार्यरत मजदूरों में दहशत का माहौल बना हुआ है और आमदई माइंस में लगी वाहनों के पहिए एक बार फिर से थम गए हैं। आमदई माइंस का नक्सली शुरुआत से विरोध कर रहे।

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एक साल पहले 2 मजदूरों की हुई थी मौत

इसी छोटे डोंगर थाना इलाके में एक साल पहले बम फटा था। नक्सलियों की लगाई प्रेशर IED की चपेट में आकर 2 मजदूरों की मौत हो गई थी, जबकि एक मजदूर घायल हुआ था। ये सभी मजदूर आमदई माइंस में काम करने के लिए जंगल के रास्ते से जा रहे थे। इसी दौरान प्रेशर IED पर इनका पैर आ गया था।

अभी तो सिर्फ एक ही बम फटा है, आगे और भी बम फटेंगे

इस घटना के बाद नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर कहा था कि नारायणपुर के आमदई माइंस के चारों तरफ बारूद बिछा हुआ है। पहाड़ के ऊपर से लेकर नीचे तक पुलिस कैंप के आसपास सैकड़ों बम प्लांट किए हुए हैं। अभी तो सिर्फ एक ही बम फटा है, आगे और भी बम फटेंगे। बारूद फोर्स के लिए लगाया गया था, लेकिन मजदूर उसकी चपेट में आ गए।

नक्सलियों का कहना था कि यहां करीब 6 पुलिस कैंप बिठाए गए हैं और हर दिन 400 से 500 गाड़ियों से ढुलाई की जा रही है। आसपास गांव के करीब 400 लोग यहां काम करने जा रहे हैं। हर मजदूर को 550 रुपए दिए जा रहे हैं, जो दिनभर डंडा लेकर खड़े रहते हैं। पैसों का लालच देकर इन्हें मौत के मुंह में धकेला जा रहा है।