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ऐतिहासिक सिरपुर शिव मंदिर को धरोहर बनाने मांग, जानिए इसके पीछे का इतिहास

Sirpur Shiva Temple: जिले के बेनूर से महज 2 किलोमीटर दूर सिरपुर में 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व में मेले जैसा माहौल बना हुआ था। इस मंदिर में सुबह से श्रद्धालु शिव दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक सहित पूजा अर्चना में लीन हो गए थे।

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 शिव मंदिर को धरोहर बनाने मांग

शिव मंदिर को धरोहर बनाने मांग फ़ाइल फोटो

Sirpur Shiva Temple: जिले से 22 किलोमीटर दूर सिरपुर स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के पर्व(Mahashivratri) पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। इसमें भक्त शिव की आराधना के लिए कतार में खड़े होकर अपनी बारी आने का इंतजार कर शिव की भक्ति में लीन नजर आ रहे थे। लेकिन सिरपुर का ऐतिहासिक शिव मंदिर महाशिवरात्रि(Mahashivratri) तक सीमित रहकर अपनी पहचान के लिए तरसते नजर आता है। इसे धरोहर बनाने की मांग उठ रही है।

इस मंदिर के कायकल्प को लेकर कोई कारगर कदम उठाते नजर नहीं आता है। इससे सिरपुर का ऐतिहासिक शिव मंदिर(Mahashivratri) सालों बीतने के बावजूद जस के तस हालात में नजर आता है। जानकारी के अनुसार जिले के बेनूर से महज 2 किलोमीटर दूर सिरपुर में 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व में मेले जैसा माहौल बना हुआ था। इस मंदिर में सुबह से श्रद्धालु शिव दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक सहित पूजा अर्चना में लीन हो गए थे। सिरपुर के साथ ही नगर आरईएस कॉलनी, पुलिस लाइन, एडका मोड़, बंगलापारा, पहाड़ी मंदिर में श्रद्धालुओं भगवान शिव की पूजा अर्चना में सराबोर हो गए थे। सिरपुर में प्राचीन काल की ऐतिहासिक शिव, देवी पार्वती, गणेश, कार्तिकेय एवं शिवगढ़ की प्रतिमाएं विराजमान है इसके पश्चिम में मनोरम जलाशय है।

शिव मंदिर(Sirpur Shiv Mandir) से करीब 150 मीटर की दूरी पर स्थित तालाब में 12 माह पानी रहता है। यहां की भूमि दलदली है कहा जाता है झरनो- जलप्रपात में भगवान शिव के 2 गुप्त आदि कल्पेश्वर महादेव एवं पशुपति सर महादेव गुप्त रूप में विराजमान है। प्राचीन काल में सिरपुर को भगवान शिव की नगरी के नाम से जाना जाता था। इसके चारों और गोलाकार स्वरूप में हरे भरे से सटे हुए पहाड़ी सुसज्जित है।इन गुफा में प्राचीन काल के राजाओं के हथियार, तलवार वाले तीर, आदिम लिपि, शैल चित्र आदिम साहित्य देवी-देवताओं की मूर्तियां खजाना छिपा है।

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प्राचीन अवशेष एवं पवित्र गुफाएं
सिरपुर में स्थित कोइकि डोंगरी को प्राचीन काल के राजाओं के महल के रूप में जाना जाता है, कहा जाता है कोइकि डोंगरी की चोटी पर एक विशाल छेद है। जिसको तोता छेद कहा जाता है। पश्चिम दिशा में स्थित गोबर डोंगरी में पत्थर का मुसल बहना है जो प्राचीन काल के राजाओं का है। सिरपुर के पहाड़ों में पवित्र गुफा तथा तिलिस्मी दरवाजे हैं जो कि देवी की इच्छा से खुलते और बंद होते हैं।

7 गुप्त महातीर्थ
सिरपुर की चारो दिशाओं में 7 शक्तिपीठ थे। इनमें त्रिगलेश्वर महादेव, आदिकल्पेश्वर महादेव, पातालेश्वर, पशुपप्तिश्वर, भूमण्डलेश्वर, त्रिपुरेश्वर, सिरेश्वर आदि जाने जाते है। यहाँ के शिवभक्त राजा की 7 रानियां थी। भगवान शिव की कृपा से आसपास पड़ोसी राज्यो की तुलना में धन ऐश्वर्य परिपूर्ण समृद्धशाली सिरपुर था। इसी के चलते कुछ लोग श्रीपुर भी कहते थे। इसकी वैभवता को देखकर लूटपाट के इरादे से पड़ोसी राज्य के राजा सिरपुर पर कई आ₹मण किए। लेकिन हर युद्ध मे सिरपुर की विजय होती थी।

उस काल में परगना, गायता, परगना मांझी एवं चालकी सिरपुर के मूल निवासी हुआ करते थे। गांव के पुराने गायता पुजारियों के कथन के अनुसार यह सतयुगी शिव का धाम है। इस स्थान पर प्रतिवर्ष सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। आदि काल के राजा का गढ़ पहाड़ी में विद्यमान है। इसे वर्तमान में कोइकि डोंगरी कहा जाता है। प्राचीन काल में सिरपुर परगना के नाम से विख्यात था, उस समय परगना मांझी सिरपुर निवासी था। बस्तर महाराजा तब सिरपुर धाम में आकर पूजा अर्चना किया करते थे।