
नेता और खादी का खास रिश्ता होता है। इसमें भी कुर्ता, बंडी की मांग खूब होती हैं। लेकिन इस बार यह सब कम ही नजर आ रहा है। इसका कारण विधानसाभा चुनाव में जनता के बीच नेताओं की साधारण दिखने की चाहत ही है। ऐसे में नेताओं ने खादी के कुर्ता, बंडी से किनारा कर लिया है। नतीजा खादी ग्रामोउद्योग दी दुकानों पर पर चुनावी सीजन में भी इनकी ब्रिकी कम ही हो रही है। चुनाव में कुर्ता बंडी का चलन होने की उम्मीद से दुकानदारों से विभिन्न किस्मों के डिजाइन बुलाए थे, लेकिन चुनाव आने के बाद भी ग्राहकों का टोटा पड़ा हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुर्ता और बंडी की डिजाइन फैशन बन गई है। सफेद और रंगीन कुर्ते पर बंडी नेताओं की पहली पसंद है। चुनावी वर्ष में इसकी अच्छी ब्रिकी होने की उम्मीद के साथ खादी ग्रामो उद्योग के दुकानदारों ने रंगीन हॉफ, फुल रंग-बिरंगे कुर्ते और बंडी बुलाई थी। लेकिन चुनाव में मतदान करीब आ गया, नेताओं की तरफ से कुर्ता बंडी की खरीदारी नहीं की गई। हालत यह है कि दुकानों पर चुनावी माल जस का तस रखा है। दुकानदारों का कहना है कि 1500 रुपए में रंग-बिरंगे नेता कुर्ते और 900 से 155 रुपए में बंडी की कई डिजाइन मौजूद हैं। एक सप्ताह में एक दो बंडी ही बिक रही है।
साधारण कपड़ों में पहुंच रहे जनता तक
जिलेभर में विभिन्न राजनैतिक दलों और निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले 40 प्रत्याशी मैदान में हैं। जन संपर्क करने वाले अधिकतर प्रत्याशी साधारण कपड़े में ही जनता के बीच जा रहे हैं। इक्का-दुक्का युवा नेता ही कुर्ता-पजामा और बंडी का उपयोग कर रहे हैं। बाकी साधारण पेंट शर्ट और टीशर्ट पहनकर ही जनसंपर्क करने में लगे हैं।
खादी का कपड़ा लेने वाले ग्राहक भी कम
शोरूम संचालकों के मुताबिक खादी के सफेद कुर्ते के लिए कई किस्मों का कपड़ा मौजूद है। चुनावी मौसम में इसकी मांग भी खूब रहती है, लेकिन इस बार रेडिमेड ही नहीं कपड़ा लेने वाले ग्राहका की भी कमी बनी हुई है।
Updated on:
14 Nov 2023 12:15 pm
Published on:
14 Nov 2023 12:06 pm
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