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महर्षि दयानंद के 200वें जन्मोत्सव पर वैदिक शिक्षा ले रहे आर्यवीर

22वीं भी जयंती पर 200 आर्यवीरों के लिए आयोजित किया जा रहा प्रशिक्षण शिविर

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महर्षि दयानंद के 200वें जन्मोत्सव पर वैदिक शिक्षा ले रहे आर्यवीर

महर्षि दयानंद के 200वें जन्मोत्सव पर वैदिक शिक्षा ले रहे आर्यवीर

नर्मदापुरम. महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव पर खर्राघाट स्थित आर्ष गुरुकुल में वैदिक संस्कार एवं चरित्र निर्माण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान 12 वर्ष से 25 वर्ष तक के 200 छात्रों व युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण शनिवार से शुरू हुआ जो 18 जून आयोजित किया जा रहा है।
शिविर में मिलेगा यह प्रशिक्षण
शिविर में बच्चों को शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक उन्नति के लिए योग आसन, प्राणायाम, ध्यान, जूडो कराते, मलखंब, स्तूप, लाठी चालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। बौद्धिक उन्नति के लिए बच्चों को वैदिक सिद्धांतों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
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साल 1912 में हुई थी गुरुकुल की स्थापना
शहर से तीन किमी दूर खर्राघाट मार्ग पर स्थित 22 एकड़ भूखंड पर बना आर्ष गुरुकुल पिछले 111 वर्षों से देशभर के युवाओं को वैदिक शिक्षा दे रहा है। गुरुकुल में 12 वर्ष से 24 वर्ष की आयु के देशभर से आए आर्यवीर वर्तमान में वैदिक शिक्षा ले रहे हैं। जिले में आर्ष गुरुकुल के अलावा कोई भी शासकीय स्कूल नहीं है जहां संस्कृत की शिक्षा दी जाती हो। ऐसी स्थिति में आर्श गुरुकुल ही संस्कृत की ही नहीं बल्कि संस्कृति की भी शिक्षा दे रहा है। 27 अप्रेल 1912 को आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्कालीन मंत्री पं. नन्हेलाल मुरलीधर ने की थी। गुरुकुल के प्रथम आचार्य स्वामी ब्रह्मानंद आचार्य थे। वर्तमान में गुरुकुल के आचार्य ऋतस्पति परिव्राजक, सचिव योगेन्द्र यज्ञिक व प्रधानाचार्य सप्तसिंधु के नेतृत्व में गुरुकुल का संचालन किया जा रहा है।
इनका कहना है
महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव पर 200 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण 18 जून तक जारी रहेगा।
मोहन आर्य, बौद्धिक प्रमुख, आर्ष गुरुकुल