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आषाढ़ अमावस्या पर नर्मदा में स्नान-दान से दूर होता है पितृदोष

18 जून को लोग करेंगे पितृकर्म, तर्पण, सुबह 7.08 बजे से दोपहर 12.37 बजे तक पूजन का मुहूर्त

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Worship and darshan of Narmada included in the daily routine of youth

Worship and darshan of Narmada included in the daily routine of youth

नर्मदापुरम. हिंदू धर्म में आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। आषाढ़ कृष्ण अमावस्या तिथि में स्नान-दान व पितरों के लिए तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन नर्मदा में तर्पण, पिंडदान से पितृदोष दूर होता है। इसे कई जगहों पर आषाढ़ी अमावस्या या हल हारिणी अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या पर 18 जून को नर्मदा तटों पर पितृदोष निवारण के लिए लोग आएंगे। नर्मदा स्नान -दान व अन्य धार्मिक कार्य भी होंगे। नर्मदा के सेठानीघाट में पितृपक्ष सहित आषाढ़ अमावस्या में बड़ी संख्या में लोग अपने पूर्वजों की आत्म शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं। पंडितों ने बताया कि स्कंद पुराण के रेवाखंड के अनुसार राजा हिरण्यतेजा एवं राजा पुरूरवा ने भी नर्मदा तट पर आकर पितरों का तर्पण और यज्ञादि धार्मिक अनुष्ठान किए थे।

उदया तिथि के अनुसार स्नान 18 को-

ज्योतिषाचार्य पंडित विकास शर्मा के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 17 जून सुबह 9.11 बजे शुरू हो रही है। अगले दिन 18 जून रविवार सुबह 10.06 बजे इसका समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर आषाढ़ अमावस्या 18 जून रविवार को है।

यह है स्नान-दान अनुष्ठान के लिए मुहूर्त-

ज्योतिषाचार्य पंडित विकास शर्मा के अनुसार आषाढ़ कृष्ण अमावस्या के दिन स्नान-दान का मुहूर्त रविवार 18 जून सुबह 07.08 बजे से दोपहर 12.37 बजे तक रहेगा। इसके अलावा सुबह 8.53 बजे से सुबह 10.37 बजे तक लाभ-उन्नति मुहूर्त है। इसके बाद सुबह 10.37 बजे से दोपहर 12.37 बजे तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है।