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अपडेट हुई पुलिस, घायलों व हार्ट अटैक के मरीजों की जान बचाने मिलेंगे संसाधन

-जिले के सभी 16 थानों व डायल-100 वाहनों को मिलेंगे आधुनिक चिकित्सा उपकरण

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अपडेट हुई पुलिस, घायलों व हार्ट अटैक के मरीजों की जान बचाने मिलेंगे संसाधन

अपडेट हुई पुलिस, घायलों व हार्ट अटैक के मरीजों की जान बचाने मिलेंगे संसाधन

narmdapuram नर्मदापुरम. जिले के थाना प्रभारी सहित फील्ड स्टॉफ को बीते दिवस चिकित्सा विशेषज्ञों के जरिए सड़क हादसों में गंभीर घायलों एवं हार्ट अटैक के रोगियों की जान बचाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। अब इसे धरातल पर उतारने के लिए एसपी ने सभी 16 थानों को निर्देश दिए हैं। इसमें थानों के स्टॉफ के साथ ही डायल-100 टीमों कर्मचारी भी शामिल रहेंगे। जिले में कहीं पर भी सड़क हादसों में सड़क पर घायल पड़े व्यक्तियों की जान बचाने के लिए क्वीक रेस्पांस के तहत पुलिस टीमें मदद के लिए तत्पर रहेगी। सूचना मिलते ही तुरंत ही मौके पर पहुंचकर प्राथमिक चिकित्सा के साथ बेहोश-मरणासन्न घायलों को कृत्रिम आक्सीजन, लाइफ सपोर्ट के साथ जरूरत पडऩे पर सीपीआर देते हुए उन्हें बिना देर किए नजदीकी अस्पतालों में ले जाकर उपचार कराएगी। हालांकि यह कार्य पुलिस पहले से करती आ रही है, लेकिन मिले प्रशिक्षण से इसे और बेहतर ढंग से करेगी।

घायलों की मदद के लिए जुटाएंगे संसाधन
एसपी डॉ. गुरुकरन सिंह ने बताया कि जिले के सभी थानों में आकस्मिक चिकित्सा उपकरण भी मुहैया कराए जाएंगे। ताकि मौके पर पहुंचकर घायलों को सड़क से उठाने, उन्हें प्राथमिक उपचार देने के साथ ही एंबुलेंस पहुंचने तक सीपीआर दिया जा सके। संसाधनों में हर थानों एवं डायल-100 वाहनों में स्ट्रेचर, फस्ट एड बॉक्स किट, माऊथ एयरवे, अंबू बैग, कृत्रिम ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम, मेन्यूअल स्पाइन बोर्ड सहित रबर बैंड, स्पीलिंट, कैंची, स्पीरिट, ग्लब्स, टार्च आदि चीजें मुहैया कराई जाएगी। इसके साथ ही नए पुलिस कर्मियों को भी थानों में पोस्टिंग से पहले सीपीआर की टे्रनिंग दी जाएगी। जिन्होंने प्रशिक्षण लिया है, उन्हें निरंतर इसका अभ्यास करने को कहा गया है।

बीते वर्ष हो चुकी करीब 200 मौतें
आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सड़क हादसे एवं इसमें होने वाली मौतें बेहद चिंताजनक है। बीते साल 2022 में 199 लोग सड़क हादसे में मारे जा चुके हैं। कुल 826 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 831 घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया था। ये आंकड़े वर्ष 2021 से भी काफी ज्यादा हैं।

एक्सपर्ट व्यू....
पुलिस कर्मियों को जो प्रशिक्षण दिया है, उससे निश्चित तौर पर गंभीर घायलों सहित हार्ट अटैक से पीडि़त व्यक्तियों की त्वरित मदद और गोल्डन अवर्स के 2 घंटों के भीतर आकस्मिक चिकित्सा से जान बच सकेगी। अस्पतालों को भी आगे आकर पुलिस के इस जिंदगी बचाने के कार्य में मदद करनी चाहिए।
-डॉ. राजेश शर्मा, विशेषज्ञ नर्मदा ट्रॉमा अस्पताल नर्मदापुरम-भोपाल