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घातक होता है धरती की ऊर्जा के रक्षकों के लिए आस्था का दूध

सांपों के लिए घातक है दूध

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नरसिंहपुर- नाग पंचमी का पर्व जहां एक ओर श्रद्धा और धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर यह पर्व सांपों के लिए पीड़ा और जीवन संकट का कारण भी बन रहा है। नाग पंचमी के दिन श्रद्धा और भक्ति के भाव में लिपटे हजारों लोग सांपों को दूध पिलाकर पुण्य कमाने की कोशिश करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह दूध धरती की पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने वाले साँपों के लिए जानलेवा हो सकता है।सांप, जिन्हें भारतीय संस्कृति में धरती की ऊर्जा के रक्षक माना गया है, आज आस्था के नाम पर हो रहे अंधानुकरण और कुप्रथा के शिकार बन रहे हैं। हर साल नाग पंचमी पर सपेरे इन सांपों को पकडक़र, भूखा.प्यासा रखकर, जबरन उनके गले में दूध डालते हैं, जिससे उनका दम घुटता है, फेफ ड़े संक्रमित होते हैं और कई बार उनकी मौत भी हो जाती है। जागरूकता के अभाव में श्रद्धालु भी बिना सोचे.समझे इस क्रिया में भाग लेते हैं, यह सोचकर कि इससे पुण्य मिलेगा।

सांपों के लिए घातक है दूध


वन्यजीव विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों के अनुसार, सांप स्तनधारी जीव नहीं होते। वे रेप्टाइल सरीसृप वर्ग में आते हैं और उनके शरीर में दूध पचाने के लिए ज़रूरी लैक्टेज एंजाइम नहीं होता। पशुचिकित्सा विभाग के सहायक संचालक और वरिष्ठ पशुचिकित्सक डा प्रवीण पटेल कहते हैं कि दूध पीने से सांपों को डिहाइड्रेशन, आंतों का संक्रमण, सांस की दिक्कतें और निमोनिया तक हो सकता है। कई बार दूध फेफ ड़ों में जाकर उनकी मृत्यु का कारण भी बनता है।
सांपों के साथ होने वाली क्रूरता को समझें

जानकारों के मुताबिक सपेरे नाग पंचमी से पहले सांपों को कैद कर भूखा-प्यासा रखते हैं, जिससे वे बेहद कमजोर हो जाते हैं। फि र, उन्हें लोगों के सामने जबरन दूध पिलाया जाता है, और श्रद्धालु समझते हैं कि सांप स्वयं दूध पी रहा है। चर्चाओं के मुताबिक कुछ सपेरे तो सांपों के दांत तोड़ देते हैं या ज़हर की थैली निकाल देते हैं, जिससे उनका जीवन और अधिक संकट में पड़ जाता है। इसे गंभीर पशु क्रूरता की श्रेणी में रखा जा सकता है।


अपराध है सांपों को पकडऩा


मानद पशु कल्याण अधिकारी भागीरथ तिवारी कहते हैं कि सांपों को पकडऩा और प्रदर्शन करना गैरकानूनी है। भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत, सांपों को पकडऩा और उनका प्रदर्शन करना अपराध है। दोषियों को जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान है।


धार्मिक आधार भी नहीं है दूध पिलाने का


काशी विद्वत परिषद के पूर्व सचिव और ज्योतिषाचार्य पंडित देवव्रत पाराशर के अनुसार शास्त्रों में नाग देवता की पूजा का वर्णन है, लेकिन दूध पिलाने की कोई धार्मिक आवश्यकता नहीं है। असल पूजा सांप को कष्ट न देकर उसकी रक्षा करने में है। देवव्रत पाराशर कहते हैं कि आस्तीक मुनि द्वारा रचित सर्पशास्त्र में भी नागों के लिए श्वेत द्रव्यों अर्चन एवं सर्प विष से निजात हेतु औषधियों का निर्माण की संकल्पना की गई है। लेकिन नागों को दूध पिलाने का उल्लेख इसमें भी नहीं है। बल्कि केवल श्वेत वस्तुओं से अभिषेक और अर्चन किए जाने का विधान जरूर है।