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पेट की आग बुझाने तपती धूप में काम करने को मजबूर हैं श्रमिक

विश्व मजदूर दिवस

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labour day

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गाडरवारा। आज विश्व श्रमिक दिवस मनाया जाएगा। जिसमें मंचों से मजदूर हितों की बड़ी बड़ी बातें की जाएंगी। मजदूर हितों का दम भरने वाले लोग, दिवस बीतने के बाद मजदूरों की मुसीबतों को भूल जाएंगे। हालांकि सरकार द्वारा गरीब मजदूरों के हित में अनेक प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन अनेक गरीबों को इन योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। आज भी अनेक गरीब कहीं बीपीएल कार्ड न बनने, कहीं आवास योजना का लाभ न मिलने तो कहीं किसी अन्य शासकीय योजना का लाभ प्राप्त न होने की शिकायत करते आसानी से देखे जा सकते हैं। जिले की प्रमुख व्यावसायिक नगरी गाडरवारा में मेहनत मजदूरी कर सैकड़ों मजदूरों का पेट पलता है। नगर समेत आसपास के पचासों गांवों से सैकड़ों मजदूर, रोज मेहनत मजदूरी करने गाडरवारा आते हैं। जिनमें भवन निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्र के मजदूर शामिल हैं। भले ही मजदूर हितों में अनेक योजनाएं संचालित हो रही हों। लेकिन यह भी सच है कि आज भी मजदूर तपती दुपहरी में पेट की आग बुझाने श्रम का कुआं खोदकर चंद रुपए कमाने को मजबूर हैं।
वहीं कार्यस्थल पर मजदूरों की सुरक्षा में चूक के चलते जिसका खामियाजा अक्सर मजदूरों को जान गवां कर भुगतना पड़ता है। जिसकी बानगी अक्सर विभिन्न स्थानों पर लापरवाही से हुए हादसों में मजदूरों की मौत के रूप में देखने को मिलती है। पत्रिका ने सोमवार को विभिन्न क्षेत्रों में संबद्ध मजदूरों से चर्चा की तो उन्होंने कहा मेहनत मजदूरी के सिवा हमारे सामने और कोई चारा नहीं है। उन्होंने अपनी अपनी समस्याएं बताईं। जहां तपती धूप में लगभग 45 डिग्री तापमान में सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था। इसके बावजूद भी अनेक मजदूर पसीना बहाते हुए मेहनत मजदूरी में संलग्न दिखे। जिनमें हाथ ठेला चलाने वाले हाथ ठेलों पर पर बोरिया लादकर सामान ढोते नजर आए। इसी प्रकार गल्लामंडी के परिसर में राजस्थान से आए बंजारे, असुविधाओं के बीच बबूल के पेड़ों के नीचे डेरा डाले दिखाई दिए। बताया गया है यह लोग लोहे के सामान बनाकर तपती धूप में सड़कों के किनारे सामान बेचते हैं। जिससे प्राप्त धन से रोजी रोटी का जुगाड़ कर जीवन यापन करते हैं। बहरहाल नगर के अनेक प्रबुद्ध जनों का कहना है कि मजदूर दिवस तब तक बेमानी है जब तक शत प्रतिशत पात्र गरीबों को योजनाओं का लाभ सहजता से न मिलने लगे।