
economic strength of the district.
MSME units are becoming the economic strength
ग्रामीण अंचलों में स्थापित छोटे.मझोले उद्योग जब मेहनत, तकनीक और सरकारी सहयोग के साथ आगे बढ़ते हैं, तो वे केवल उत्पादन केंद्र नहीं रहते बल्कि रोजगार और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन जाते हैं। नरसिंहपुर जिले की खमरिया और डोंगरगांव में संचालित दो एमएसएमई इकाइयां आज इसी सफ लता की कहानी कह रही हैं।कलेक्टर रजनी सिंह ने उद्योग विभाग की एमएसएमई प्रोत्साहन योजना के तहत इन दोनों इकाइयों का भ्रमण किया। इस दौरान सामने आया कि किस तरह स्थानीय संसाधनों और आधुनिक तकनीक के सहारे ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत उद्योग खड़े किए जा सकते हैं।
खमरिया स्थित गोपाल पल्सेज आज जिले के सफ ल दाल उद्योगों में शुमार है। इकाई संचालक सुभाष अग्रवाल ने बताया कि यहां मूंग, उड़द और तुअर दाल का बड़े स्तर पर उत्पादन और प्रसंस्करण किया जाता है। लगभग 19,208 मैट्रिक टन वार्षिक उत्पादन क्षमता वाली यह इकाई अपने उत्पाद प्रदेश के साथ.साथ अन्य राज्यों तक पहुंचा रही है। इस इकाई की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इसने गांव के 20 लोगों को स्थायी रोजगार दिया है। ग्रामीण युवाओं को अपने ही क्षेत्र में काम मिलने से पलायन रुका है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने उत्पादन प्रक्रिया को सराहा और गुणवत्ता बनाए रखने पर जोर दिया।
डोंगरगांव स्थित निरंकार इंफ ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड भी सफ लता की नई इबारत लिख रहा है। इकाई संचालक आशीष सेल्वानी ने बताया कि यहां चना दाल के साथ.साथ अलसी और सरसों तेल का उत्पादन किया जाता है। 9,478 मैट्रिक टन वार्षिक क्षमता वाली यह इकाई प्रदेश ही नहीं,बल्कि अन्य राज्यों में भी अपने उत्पाद भेज रही है। इस इकाई से 15 स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है। आधुनिक मशीनरी और बेहतर प्रबंधन के चलते उत्पादों की गुणवत्ता बाजार में पहचान बना रही है।
कलेक्टर रजनी सिंह ने दोनों इकाइयों के संचालकों से संवाद कर उनकी चुनौतियों, श्रमिकों की स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऐसे उद्योग जिले की आर्थिक रीढ़ बनते हैं और शासन की योजनाओं का उद्देश्य इन्हें और अधिक सशक्त बनाना है।इस अवसर पर जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र नरसिंहपुर के महाप्रबंधक पंकज सिंह पटेल एवं सहायक प्रबंधक संदीप गोटिया भी मौजूद रहे।
खमरिया और डोंगरगांव की ये इकाइयां साबित कर रही हैं कि यदि सही मार्गदर्शन, सरकारी सहयोग और उद्यमशीलता का जज्बा हो तो ग्रामीण अंचलों से भी सफ लता की बड़ी कहानियां निकल सकती हैं। ये उद्योग न केवल उत्पादन कर रहे हैं बल्कि रोजगार, आत्मनिर्भरता और जिले के आर्थिक विकास की मजबूत नींव भी रख रहे हैं।
Published on:
28 Dec 2025 02:56 pm
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