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कोविड महामारी ने कपिल को डुबाया, मछली के व्यापार ने उबारा: यहां पढ़िए ‘नीली क्रांति’के 5 साल का लेखाजोखा

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की सफलता यह है कि पिछले 5 सालों में मछुआरे रिकॉर्ड पैदावार के साथ बढ़ते निर्यात और समावेशी व सतत विकास के साथ सशक्त बने हैं।

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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Photo: IANS)

Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) ने 5 साल पूरे कर लिए हैं। 20 मई 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत इस योजना ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में ‘नीली क्रांति’ की शुरुआत की। 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुरू हुई यह योजना मछुआरों और मछली पालकों की आय दोगुनी करने, रोजगार सृजन और निर्यात बढ़ाने में सफल रही है। कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक संकट झेल रहे लोगों के लिए यह योजना नई उम्मीद बनकर उभरी।

योजना का प्रभाव और उपलब्धियां

PMMSY का लक्ष्य 2024-25 तक मछली उत्पादन को 70 लाख टन बढ़ाकर 220 लाख टन करना, निर्यात आय को 1 लाख करोड़ रुपये तक ले जाना और 55 लाख रोजगार सृजित करना था। किसान कल्याण विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2024-25 में भारत ने 195 लाख टन मछली उत्पादन के साथ विश्व में दूसरा स्थान हासिल किया। उत्पादकता 3 टन से बढ़कर 4.7 टन प्रति हेक्टेयर हो गई, और दिसंबर 2024 तक 58 लाख रोजगार के अवसर सृजित किए गए, जो लक्ष्य से अधिक है।

कपिल तलवार: कोविड संकट से सफलता की ओर

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के खटीमा ब्लॉक के कपिल तलवार की कहानी प्रेरणादायक है। कोविड-19 महामारी ने उनकी आजीविका छीन ली थी, लेकिन PMMSY ने उन्हें नया रास्ता दिखाया। वित्त वर्ष 2020-21 में उन्होंने योजना के तहत 40% सब्सिडी और मत्स्य पालन विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन से जिले की सबसे बड़ी बायोफ्लॉक मछली पालन इकाई स्थापित की। 50 टैंक में पंगेसियस और सिंघी मछलियों का पालन शुरू किया, जिसमें 50,000 पंगेसियस का उत्पादन हुआ। इसके साथ ही उन्होंने सजावटी मछलियों का पालन शुरू किया। इस पहल ने न केवल उनकी आय बहाल की, बल्कि 7 लोगों (5 पुरुष, 2 महिलाएं) को रोजगार भी दिया। कपिल अब ग्रामीण महिलाओं को मछली पालन का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं, जो योजना की समावेशी प्रकृति को दर्शाता है।

भूदेव सिंह: पारंपरिक खेती से आत्मनिर्भरता तक

हरिद्वार के भूदेव सिंह की कहानी भी कम प्रेरक नहीं है। पारंपरिक खेती से गुजारा करने वाले भूदेव को कोविड काल में PMMSY की जानकारी मिली। उन्होंने तालाब बनवाकर मछली पालन शुरू किया और 1.76 लाख रुपये की सब्सिडी प्राप्त की। पहले ही साल उनकी आय में 1.75 लाख रुपये की वृद्धि हुई। आज वे आधुनिक खेती और मछली पालन से अपनी आय दोगुनी कर चुके हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ‘द मोदी स्टोरी’ ने उनकी कहानी साझा की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बातचीत का जिक्र है। इस संवाद ने भूदेव को आत्मविश्वास और प्रेरणा दी।

योजना का विस्तार और निवेश

PMMSY को अब 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है। 22 जुलाई 2025 तक मत्स्य पालन विभाग ने 21,274.16 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिसमें केंद्र का हिस्सा 9,189.79 करोड़ रुपये है। विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 5,587.57 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। योजना के तहत 58 मछली पालन बंदरगाहों और लैंडिंग सेंटरों के लिए 3,281.31 करोड़ रुपये, 27,297 परिवहन सुविधाओं के लिए 835.27 करोड़ रुपये और 734 बर्फ संयंत्रों व कोल्ड स्टोरेज के लिए 1,568.11 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

PMMSY ने बायोफ्लॉक तकनीक, री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS), और आधुनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देकर मत्स्य पालन को टिकाऊ और लाभकारी बनाया है। यह योजना मछुआरों और मछली पालकों को बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। राजस्थान जैसे राज्यों में छोटे और सीमांत किसानों को तालाब निर्माण और आधुनिक तकनीकों के लिए सहायता दी जा रही है।