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कर्नाटक के बाद एक और कांग्रेस शासित राज्य लाएगा हेट स्पीच कानून, CM का बड़ा ऐलान

कर्नाटक ने 18 दिसंबर को देश का पहला हेट स्पीच एंड हेट क्राइम्स (प्रिवेंशन) बिल पारित किया। इस विधेयक में नफरत भरे भाषण या अपराध के लिए एक लाख रुपये तक के जुर्माने और सात साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।

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हेट स्पीच कानून

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शनिवार को बड़ा ऐलान किया कि उनकी सरकार जल्द ही विधानसभा में नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) के खिलाफ एक विधेयक लाएगी। यह घोषणा हैदराबाद में राज्य सरकार द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह के दौरान की गई। रेवंत रेड्डी ने कहा, “हम जल्द ही विधानसभा में नफरत भरे भाषण के खिलाफ कानून लाएंगे।” यह कदम कांग्रेस शासित पड़ोसी राज्य कर्नाटक के हालिया फैसले के बाद उठाया जा रहा है।

देश का पहला हेट स्पीच बिल कर्नाटक में पास

कर्नाटक ने 18 दिसंबर को देश का पहला हेट स्पीच एंड हेट क्राइम्स (प्रिवेंशन) बिल पारित किया। इस विधेयक में नफरत भरे भाषण या अपराध के लिए एक लाख रुपये तक के जुर्माने और सात साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने विधेयक पेश करते हुए कहा था कि सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले बयानों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हालांकि, भाजपा ने इस बिल का विरोध किया और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।

सीएम रेवंत रेड्डी का बड़ा बयान

रेवंत रेड्डी ने कर्नाटक के इस कदम का हवाला देते हुए कहा कि तेलंगाना भी इसी तरह का कानून लाकर अन्य धर्मों के सदस्यों का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। क्रिसमस समारोह में ईसाई समुदाय को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि दिसंबर चमत्कारों का महीना है—यीशु मसीह का जन्म, सोनिया गांधी द्वारा तेलंगाना राज्य का वादा और कांग्रेस सरकार का गठन। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों के योगदान की भी सराहना की।

‘तेलंगाना राइजिंग 2047’ विजन पेश

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इंदिरम्मा हाउस, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, 50 लाख परिवारों को मुफ्त बिजली और 3.10 करोड़ लोगों को सन्ना बियम (बारीक चावल) उपलब्ध कराने जैसी योजनाएं जारी हैं। उन्होंने ‘तेलंगाना राइजिंग 2047’ विजन के तहत राज्य को विकास और कल्याण के मामले में नंबर वन बनाने का संकल्प दोहराया।

यह ऐलान ऐसे समय में आया है, जब देशभर में नफरत भरे भाषण और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले मामलों पर बहस तेज है। तेलंगाना का प्रस्तावित कानून सामाजिक सद्भाव बनाए रखने और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है।