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ISRO का नया मिशन : सूर्य और चंद्रमा के बाद अब इस ग्रह पर नजर, जानिए कब होगी लॉन्चिंग

Venus Orbiter Mission : चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 मिशन के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन शुक्र मिशन यानी कि 'शुक्रयान' के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहा है।

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Venus Orbiter Mission

Venus Orbiter Mission

Venus Orbiter Mission : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक के बाद एक नया इतिहास रचा रहा है। इसरो ने अनोखा कीर्तिमान रचकर दुनिया के सामने अलग छवि बनाई है। वह जल्द ही एक और नया मिशन शुरू करने जा रहे है। चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 मिशन के बाद इसरो शुक्र मिशन या 'शुक्रयान' के लिए जोर-शोर से तैयारी में जुटा हुआ है। माना जा रहा है कि इसके अगले साल दिसंबर में लॉन्च होने की संभावना है। वीनस मिशन से पहले अंतरिक्ष एजेंसी इस साल दिसंबर में ही एक्सपीओसैट या एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी कर रही है, जिसका उद्देश्य चमकीले एक्स-रे पल्सर या मौत की प्रक्रिया में सितारों का अध्ययन करना है।

अगले साल किया जाएगा लॉन्च

बताया जा रहा है कि वीनस मिशन को 2024 के दिसंबर में लॉन्च किए जाने की संभावना है। इस समय पृथ्वी और शुक्र इतने संरेखित (सीधी रेखा में) होंगे कि अंतरिक्ष यान को कम प्रणोदक का उपयोग करके पड़ोसी ग्रह की कक्षा में रखा जा सकता है। इसके बाद यह मौका 2031 में ही मिलेगा।

सोमनाथ ने शुक्र को लेकर कही ये बात

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी को संबोधित करते हुए कहा था कि सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र पर मिशन पहले से ही कॉन्फ़िगर किया गया है और मिशन के लिए इसके पेलोड (वैज्ञानिक उपकरण) विकसित किए गए हैं। शुक्र एक बहुत ही दिलचस्प ग्रह है। इसका एक वातावरण भी है जो बहुत घना है। वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 100 गुना अधिक है। यह अम्लों से भरा है।

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100 एक्सो-ग्रहों में मौजूद है वायुमंडल

सोमनाथ ने एक्स-रे पोलारिमीटर उपग्रह पर बात करते हुए कहा था कि हम एक्सोवर्ल्ड्स नामक एक उपग्रह की भी कल्पना कर रहे हैं, जो एक्सो-सौर ग्रहों या ऐसे ग्रहों को देखने के लिए एक मिशन है। यह हमारे सौर मंडल से बाहर हैं और अन्य सितारों की परिक्रमा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 100 एक्सो-ग्रहों में वायुमंडल मौजूद है। इस मिशन के जरिए एक्सो-ग्रहों के वातावरण का अध्ययन किया जाएगा। इसके साथ यह भी पता लगाएगा कि क्या वहां पर इंसान जीवित रह सकता है या नही।

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