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वायु प्रदूषण बढ़ा रहा है ब्लड शुगर का स्तर, 7 साल के रिसर्च में हुए कई खुलासे

हाल एक अध्ययन में सामने आया है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से टाइप2 मधुमेह की आशंका बढ़ जाती है।

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वायु प्रदूषण न केवल हमारी सांसों पर भारी है, बल्कि सेहत पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। देश में हाल एक अध्ययन में सामने आया है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से टाइप2 मधुमेह की आशंका बढ़ जाती है। यह अध्ययन तब सामने आया, जबकि राजधानी दिल्ली सहित भारत के कई शहर प्रदूषण की चपेट में हैं और हर दिन एक्यूआइ बिगड़ रहा है। दिल्ली और चेन्नई में किए सात वर्ष से किए जा रहे अध्ययन में हवा में पीएम 2.5 कणों के उच्च स्तर (बालों से भी 30 गुणा ज्यादा बारीक) और ब्लड शुगर के बीच संबंध का पता चला। यानी वायु प्रदूषण टाइप-2 मधुमेह को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाता है।


खून में घुल जाते हैं सूक्ष्म प्रदूषक

अध्ययन के मुताबिक प्रदूषण के सूक्ष्म कण रक्त में घुलकर श्वास और हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाते हैं। यह अध्ययन बीएमजे ओपन डायबिटीज रिसर्च एंड केयर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

मोटापा कम करने वाली दवा बीपी और मधुमेह भी नियंत्रित करेगी

अमरीकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने वजन कम करने वाली दवा जेपबाउंड (टिर्जेपेटाइड) को मंजूरी दे दी। दवा कंपनी एली लिलि की ओर से विकसित किए गए इस इंजेक्शन का प्रयोग वजन बढऩे से होने वाले हाई बीपी, टाइप2 मधुमेह या हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए उपचार किया जाएगा। एफडीए के डॉ. जॉन शैरेट्ज ने बताया कि मोटापा और बढ़ा हुआ वजन कई तरह के स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। इनमें हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी बीमारियां प्रमुख हैं।
जेपबाउंड का प्रमुख घटन तिरजेपेटाइड को पहले ही टाइप-2 वाले वयस्कों के लिए आहार और व्यायाम के साथ प्रयोग किए जाने वाले मौन्जारो के रूप में स्वीकृत किया गया है। उम्मीद की जा रही है यह दवा कुछ ही हफ्तों में अमरीका में उपलब्ध होगी।

अभी आम आदमी की पहुंच से दूर

जेपबाउंड काफी महंगी दवा है। जिसकी शुरुआती कीमत 1059 डॉलर प्रतिमाह होने का अनुमान है, जिससे आम आदमी तक इसकी पहुंच सीमित रहेगी, क्योंकि बीमा कंपनियां भी आमतौर पर वजन घटाने वाली दवाओं को कवर नहीं करती हैं। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का अनुमान है कि जीएलपी-1 (मधुमेह) दवाओं का बाजार 2032 तक 140 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

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कैसे काम करती है दवा

जेपबाउंड आंत में स्रावित हार्मोन यानी ग्लूकागन जैसे पेप्टाइड-1(जीएलपी-1) और ग्लूकोज बेस्ड इंसुलिनोट्रोपिक पॉलीपेप्टाइड (जीआइपी) के लिए रिसेप्टर्स को सक्रिय करता है। इसके चलते भूख कम लगती है।

ऐसे किया परीक्षण

वजन कम करने में दवा के असर को जांचने के लिए मोटापाग्रस्त मधुमेह रोगियों और बिना मधुमेह वाले लोगों को जेपबाउंड और अन्य वैकल्पिक दवा की नियमित खुराक दी गई। इसमें पता चलता कि जेपबाउंड लेने वालों के वजन में 18 फीसदी की कमी आई।

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